देहरादून, 19 जून 2025
उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत और विकास की सौगात सामने आई है। क्षेत्र के ईच्छला और फटेऊ गांवों में अब आधुनिक सोलर पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिससे स्थायी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। दोनों गांवों में मिलाकर 6,000 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट तैयार किए जा रहे हैं।
ऊर्जा उत्पादन में होगा इजाफा, सीधे ग्रिड से जुड़ेंगे प्लांट
इन सोलर पावर प्लांट्स में उत्पादित बिजली को सीधे राज्य ग्रिड से जोड़ा जाएगा, जिससे बिजली वितरण प्रणाली को मजबूती मिलेगी और इलाके में बार-बार होने वाली बिजली कटौती से निजात मिलेगी।
विद्युत वितरण खंड के सहायक अभियंता अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि,
“ईच्छला और फटेऊ गांवों में 6000 केवी के सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं। इससे ना केवल क्षेत्र को स्थायी बिजली आपूर्ति मिलेगी, बल्कि ग्रामीणों को आर्थिक लाभ भी होगा।”
30 साल की लीज, ग्रामीणों को मिलेगा सालाना किराया
इस परियोजना को एमआरएल कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा है। कंपनी ने दोनों गांवों में ग्रामीणों की जमीन को 30 साल की लीज पर लिया है। इसके बदले ग्रामीणों को प्रति बीघा के हिसाब से सालाना किराया प्रदान किया जाएगा। इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सीधा सुधार होगा।
ग्रामीणों का कहना है कि बिना खेती के अनुपयोगी पड़ी जमीन का यह इस्तेमाल उनके लिए आमदनी का एक नया जरिया बन जाएगा। इससे युवाओं को भी स्थानीय रोजगार मिलने की संभावना है।
हरित ऊर्जा की ओर एक बड़ा कदम
इससे पहले उदपाल्टा और उपरौली गांवों में भी सोलर पावर प्रोजेक्ट की पायलट योजना चलाई गई थी, जहां सफल बिजली उत्पादन के बाद अब नए क्षेत्रों में विस्तार किया जा रहा है।
इन प्लांट्स से:
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स्थायी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी
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ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का स्रोत तैयार होगा
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हरित ऊर्जा को मिलेगा बढ़ावा
स्थानीय विकास को मिलेगा नया बल
एमआरएल कंपनी के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि आने वाले महीनों में प्लांट पूरी तरह कार्यशील हो जाएगा। निर्माण कार्य में स्थानीय मज़दूरों और तकनीकी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
निष्कर्ष:
जौनसार-बावर में लग रहे सोलर पावर प्लांट्स न केवल बिजली संकट को दूर करेंगे, बल्कि पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक विकास की एक नई मिसाल भी पेश करेंगे। यह पहल भविष्य में अन्य पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आदर्श मॉडल साबित हो सकती है।