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देहरादून फ्लड: 20 फीट उछाल पर बह गए मजदूर, मिले छह और शव; मृतकों का आंकड़ा 23 तक पहुंचा

देहरादून, 18 सितंबर 2025

दून घाटी में आई भीषण आपदा का दर्दनाक मंजर लगातार सामने आ रहा है। बुधवार को मलबे और नदी से छह और शव बरामद किए गए। इनमें से चार शव देहरादून में और दो सहारनपुर के मिर्जापुर यमुना नदी में मिले। इसके साथ ही आपदा में अब तक मृतकों का आंकड़ा 23 तक पहुंच गया है।


“कमरे में आ जाओ…” आखिरी बार सुने शब्द

सोमवार-मंगलवार की रात मालदेवता में सहारनपुर के चार मजदूर अपने कमरे की ओर लौट रहे थे। तभी उनके साथी ने उन्हें आवाज दी — “बारिश बहुत तेज है, कमरे में आ जाओ, वहां रहना ठीक नहीं है।”

लेकिन इससे पहले कि वे कमरे तक पहुंच पाते, अचानक पानी का स्तर बढ़ा और 20 फीट तक का उछाल आया। तेज बहाव ने चारों मजदूरों को देखते ही देखते अपने साथ बहा लिया।


सहारनपुर के मजदूर, दून में आजीविका की तलाश में

लापता मजदूरों की पहचान मिथुन, श्यामलाल, धर्मेंद्र और विकास कुमार के रूप में हुई है। ये सभी सहारनपुर के फतेहपुर स्थित मिरपुर गांव के रहने वाले थे।

सिर्फ एक हफ्ते पहले ही वे रोज़गार की तलाश में दून पहुंचे थे और मालदेवता क्षेत्र में ठेकेदार के अधीन पत्थर तोड़ने का काम कर रहे थे। काम की वजह से वे ठेकेदार द्वारा उपलब्ध कराए गए एक कमरे में रह रहे थे।


परिजनों की व्यथा, अपनों की तलाश में दर-दर

चारों मजदूरों के परिजन सहारनपुर से देहरादून पहुंचे और बुधवार को प्रभावित इलाकों में अपनों की तलाश की। लेकिन दिनभर की मशक्कत के बावजूद कुछ पता नहीं चल सका।

धर्मेंद्र के भाई प्रवीण ने बताया, “15 सितंबर की रात 9 बजे मेरी धर्मेंद्र से आखिरी बात हुई थी। उसने कहा था कि बारिश बहुत हो रही है और वह जल्दी घर लौटना चाहता है। लेकिन मालदेवता की आपदा ने पलक झपकते ही सब छीन लिया।”


आपदा की भयावह रात

प्रवीण के अनुसार, आपदा के समय चारों मजदूर अपने कमरे से थोड़ी ही दूरी पर थे। भारी बारिश लगातार जारी थी। तभी अचानक पानी का स्तर बढ़ा और 20 फीट की ऊंचाई तक लहरें उठीं। तेज धारा ने चारों युवकों को पलभर में बहा दिया।

उनके अनुसार, अन्य मजदूर थोड़ी दूरी पर मौजूद थे, लेकिन वे किसी तरह बच निकले। चारों सहारनपुर निवासी युवकों का अब तक कोई पता नहीं चल सका है।


निष्कर्ष

देहरादून और आसपास के इलाकों में आई यह आपदा न सिर्फ स्थानीय निवासियों बल्कि दूर-दराज से रोज़गार की तलाश में आए मजदूर परिवारों के लिए भी त्रासदी बन गई है। 23 मौतों का यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, जबकि लापता लोगों की तलाश जारी है।

यह हादसा एक बार फिर यह चेतावनी देता है कि पहाड़ी इलाकों में अचानक आने वाली आपदाएं कितनी खतरनाक हो सकती हैं और इनके लिए पहले से तैयारी और सुरक्षित आवास की व्यवस्था कितनी जरूरी है।

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