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देहरादून: महिला सुरक्षा पर प्रकाशित रिपोर्ट तथ्यहीन, सर्वे कंपनी को नोटिस

देहरादून, 3 सितंबर 2025 (बुधवार)

 महिला सुरक्षा पर जारी ‘नारी-2025’ शीर्षक वाली सर्वे रिपोर्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। रिपोर्ट में देहरादून को देश के टॉप-10 असुरक्षित शहरों में शामिल बताया गया था, जिसे महिला आयोग और दून पुलिस ने तथ्यों से परे बताते हुए खारिज कर दिया है।


पी वैल्यू एनालिटिक्स को नोटिस

मंगलवार, 2 सितंबर 2025 को प्रेस वार्ता करते हुए एसएसपी अजय सिंह ने सर्वे के दावों को निराधार करार दिया और पी वैल्यू एनालिटिक्स कंपनी को नोटिस भेजे जाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सर्वे न तो राज्य महिला आयोग और न ही राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा कराया गया, न ही किसी सरकारी सर्वेक्षण संस्थान को इसमें शामिल किया गया।


मापदंड और सैम्पल साइज पर उठे सवाल

पुलिस जांच में पाया गया कि सर्वे में अपनाए गए मापदंडों का उल्लंघन हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार:

  • 31 शहरों में केवल टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर डेटा जुटाया गया।

  • कुल 12,770 महिलाओं को शामिल किया गया, जिसमें देहरादून की मात्र 400 महिलाएं थीं।

  • जबकि देहरादून में महिलाओं की आबादी लगभग 9 लाख है।

एसएसपी के अनुसार, इतने छोटे और असंतुलित सैंपल के आधार पर शहर की सुरक्षा को लेकर व्यापक निष्कर्ष निकालना भ्रामक है।


दून बनाम ‘सबसे सुरक्षित’ शहर—डेटा तुलना

दून पुलिस ने अपने यहां दर्ज महिला अपराध से जुड़े मामलों की तुलना, महिला सुरक्षा के लिहाज से देश के सुरक्षित शहरों में गिने जाने वाले ‘कोहिमा’ से भी की। पुलिस का दावा है कि उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर देहरादून की स्थिति सर्वे रिपोर्ट के निष्कर्षों से बेहतर दिखाई देती है।


महिला आयोग ने भी रिपोर्ट को किया खारिज

महिला आयोग ने इस रिपोर्ट को तथ्यहीन बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। आयोग का कहना है कि बिना मानक पद्धति और व्यापक प्रतिनिधित्व के किए गए सर्वे को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता


आगे की कार्रवाई

एसएसपी ने कहा कि कंपनी से जवाब मांगा गया है। शोध मापदंडों के उल्लंघन और डेटा संग्रह प्रक्रिया की गहन जांच की जाएगी और उसके बाद आगे की वैधानिक कार्रवाई प्रस्तावित है। साथ ही, दून पुलिस ने महिला सुरक्षा हेतु संचालित सभी तंत्रों की विवेचन रिपोर्ट भी साझा की, जिसमें शहर का प्रदर्शन कई सुरक्षित शहरों से बेहतर होने की बात कही गई।


 प्रशासन का स्पष्ट संदेश: अविश्वसनीय सर्वे के आधार पर शहर की छवि धूमिल नहीं होने दी जाएगी; प्रमाण-आधारित तथ्यों पर ही नीतिगत निर्णय होंगे।

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