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देहरादून: मानसून की तबाही के बाद जागा सिस्टम, अतिक्रमण हटाने की सख्ती; 11 दिसंबर के बाद चलेगा बुलडोजर

 सौंग नदी किनारे अवैध कब्जे हटाने का अल्टीमेटम, पूरे शहर की नदियों में खतरे की घंटी


 तारीख: 11 दिसंबर 2025
 स्थान: देहरादून—मालदेवता, सहस्रधारा व सौंग नदी तट


भीषण आपदा के बाद प्रशासन हरकत में, 11 दिसंबर तक खुद हटाएं अतिक्रमण

पिछले मानसून में मालदेवता–सहस्रधारा क्षेत्र में सौंग नदी द्वारा मचाई गई तबाही के बाद अब प्रशासन सक्रिय हो गया है।
सिंचाई विभाग ने नदी और नहरों पर फैलते अवैध कब्जों को आपदा का सीधा कारण मानते हुए बड़ा अभियान शुरू किया है।
दुनाली चौक से मालदेवता तक सभी अतिक्रमणकारियों को 11 दिसंबर तक स्वयं अतिक्रमण हटाने का अंतिम अल्टीमेटम दिया गया है।


नदियों के किनारे बढ़ते कब्जे बने आपदा की जड़, नोटिस और मुनादी शुरू

सिंचाई विभाग ने अवैध निर्माणों की पहचान कर नोटिस जारी कर दिए हैं और क्षेत्र में मुनादी भी कराई जा चुकी है।
अधिकारियों ने साफ कहा है—
“नदी के किनारे किसी भी तरह का अतिक्रमण अब बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

बीते सितंबर में बादल फटने और भारी वर्षा के दौरान कई रिज़ॉर्ट, दुकानें और घर पलभर में बह गए थे, फिर भी व्यावसायिक लालच में अवैध निर्माण लगातार बढ़ते रहे।


सौंग नदी की चौड़ाई सिकुड़ी, हर मानसून में खतरा दोगुना

पर्यटक दबाव और व्यावसायिक विस्तार ने सौंग नदी के किनारों को इस कदर घेर दिया है कि नदी की प्राकृतिक चौड़ाई खत्म होने लगी है।
जहां नदी बहती थी, वहां आज कैफे, रेस्टोरेंट, होटेल और होमस्टे खड़े हैं।

विशेषज्ञों का कहना है—

  • भारी बारिश में घाटी क्षेत्र पहले ही संवेदनशील रहते हैं,

  • ऊपर से अवैध निर्माण आपदा के खतरे को कई गुना बढ़ा देते हैं,

  • नदी की धारा मोड़ने से कटाव बढ़ रहा है,

  • जलप्रवाह बाधित होने से पानी बस्तियों में घुस रहा है,

  • बादल फटने की घटनाएं बड़े स्तर की तबाही ला रही हैं।


देहरादून की 12 नदियां खतरे में—रिस्पना से लेकर टोंस तक सब पर अतिक्रमण

देहरादून की 12 प्रमुख नदियां—
रिस्पना, बिंदाल, सुसवा, टोंस, आसन, सोंग, नून, जाखन, खलंगा, तमसा—सब तेजी से सिकुड़ती जा रही हैं।

नदी किनारों पर मकान, दुकान और मल्टीस्टोरी होटल उग आए हैं।
कई स्थानों पर नदी का प्रवाह कृत्रिम रूप से मोड़ा गया है।
इससे बाढ़ का जोखिम दोगुना हो गया है और पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है।


टिहरी में रोक लेकिन देहरादून में ढील—प्रशासन सवालों के घेरे में

टिहरी जिले में सौंग नदी के किनारे निर्माण पर सरकार की कड़ी रोक है।
लेकिन देहरादून में इसी नदी किनारे बड़े पैमाने पर निर्माण जारी है।
मालदेवता हर साल मानसून में संकट झेलता है, पर प्रशासन की सख्ती केवल आपदा के बाद दिखती है—इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।


11 दिसंबर के बाद बुलडोजर चलने की तैयारी, व्यवसायियों में हलचल

सिंचाई विभाग ने संकेत दिया है कि 11 दिसंबर के बाद बुलडोजर चलाने में कोई देरी नहीं होगी
स्थानीय व्यापारी और रिज़ॉर्ट संचालकों में खलबली मची है, वहीं आम लोगों का कहना है कि
“यह सख्ती जरूरी है, वरना खूबसूरत घाटियां हमेशा के लिए खतरे का क्षेत्र बन जाएंगी।”


निष्कर्ष

देहरादून में नदियों पर तेजी से हो रहे अवैध निर्माण केवल पर्यावरणीय खतरा नहीं, बल्कि जानलेवा आपदा का कारण बन चुके हैं।
प्रशासन का यह कदम देर से सही, लेकिन अत्यंत जरूरी है।
यदि नदियों की प्राकृतिक चौड़ाई और प्रवाह बहाल नहीं किए गए तो आने वाले मानसून में मालदेवता जैसी जगहें और बड़े खतरे की जद में आ सकती हैं।

अब निगाहें 11 दिसंबर के बाद शुरू होने वाली कार्रवाई पर हैं, जिसमें तय होगा कि देहरादून अपनी नदियों को बचा पाएगा या नहीं।

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