देहरादून | 17 जुलाई 2025
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने सभी को झकझोर दिया है। आपसी विवाद का बदला एक निर्दोष बच्चे से लिया गया — एक महिला ने पड़ोसी के 5 वर्षीय बेटे के सिर पर सिलबट्टे से वार कर दिया, जिससे बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया और कोमा में चला गया।
पुलिस ने आरोपी महिला मीना देवी को गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
क्या है पूरा मामला?
- घटना लक्खीबाग क्षेत्र के रीठा मंडी की है
- पीड़ित बच्चा गौरव (5 वर्ष) अपने घर के बाहर खेल रहा था
- आरोपी महिला मीना देवी, जो सामने ही रहती है, ने उसे अपने घर बुलाया
- बच्चे को कमरे में बंद कर उसके सिर पर सिलबट्टे से कई बार वार किया
- बच्चा अब वेंटिलेटर पर, हालत बेहद नाजुक, डॉक्टरों के मुताबिक वह कोमा में है
आरोपी महिला की पहचान और पृष्ठभूमि
- नाम: मीना देवी
- पता: रीठा मंडी, लक्खीबाग, देहरादून
- आरोपी महिला का बच्चे के परिवार से पुराना विवाद चल रहा था
- उसने सोच-समझकर घटना को अंजाम दिया
- शहर कोतवाली पुलिस ने गुरुवार को उसे गिरफ्तार किया
एफआईआर और पुलिस की कार्रवाई
विवरण | जानकारी |
---|---|
थाना | शहर कोतवाली, देहरादून |
धाराएं | हत्या के प्रयास और गंभीर हमले की धाराएं |
गिरफ्तारी | गुरुवार, 17 जुलाई |
जांच अधिकारी | प्रभारी प्रदीप पंत |
पुलिस के अनुसार, मकसद पूर्व शत्रुता था और महिला ने बच्चे को जानबूझकर निशाना बनाया।
डॉक्टरों की रिपोर्ट: हालत बेहद गंभीर
“बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया है। सिर पर गहरी चोट है और वह कोमा में है। हालत स्थिर नहीं है।”
– डा. अशोक, बाल रोग विभागाध्यक्ष, दून अस्पताल
बच्चे के सिर पर कई गंभीर चोटें हैं और वह आईसीयू में भर्ती है।
विरोध में उफन पड़ा गुस्सा: चौकी में हंगामा
घटना से गुस्साए बच्चे के परिजनों और स्थानीय लोगों ने लक्खीबाग पुलिस चौकी पर पहुंचकर प्रदर्शन किया।
उनकी मांग थी कि:
- आरोपी महिला को तुरंत गिरफ्तार किया जाए
- उस पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो
- उसे जल्द से जल्द सजा मिले
प्रभारी प्रदीप पंत ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि महिला की गिरफ्तारी हो चुकी है और उसे कड़ी सजा दिलाने की पूरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
बाल हिंसा पर गंभीर चिंता
इस घटना ने एक बार फिर बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि:
- बाल हिंसा के खिलाफ कड़े कानूनों को तेज़ी से लागू किया जाए
- सामाजिक संघर्षों को बच्चों से दूर रखा जाए
- स्कूलों, मोहल्लों में मानसिक स्वास्थ्य और शांति के लिए जागरूकता फैलाई जाए
निष्कर्ष:
इस वीभत्स घटना ने न केवल एक मासूम की जिंदगी को संकट में डाला है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी का संदेश भी है।
अब समय है कि न्याय व्यवस्था तेज़ी से कदम उठाए, ताकि दोबारा कोई मासूम ऐसा शिकार न बने।