स्थान: आशारोड़ी चेकपोस्ट, देहरादून | तिथि: 23 जून 2025
देहरादून में रविवार देर रात एक बार फिर एक दर्दनाक सड़क हादसे ने शहर को झकझोर दिया। आशारोड़ी चेकपोस्ट के पास एक तेज रफ्तार कार ने पहले चेकिंग बैरियर को टक्कर मारी और फिर सामने खड़े एक भारी ट्राले में जा घुसी। हादसे में कार सवार दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई।
यह हादसा न सिर्फ भयावह था, बल्कि यह 11 नवंबर 2024 को ओएनजीसी चौक पर हुए उस बड़े हादसे की याद दिला गया, जब तेज रफ्तार और अंधेरे ने एक और हादसे को जन्म दिया था।
हादसे की भयावहता: दरवाजा काटकर निकाले गए शव
रविवार रात करीब 11 बजे हुई इस दुर्घटना के बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची। कार इतनी बुरी तरह से ट्राले में फंसी हुई थी कि दरवाजे के लॉक को कटर से काटकर शवों को बाहर निकालना पड़ा। मृतकों की पहचान स्थानीय युवकों के रूप में की गई है।
हादसे की वजह: रफ्तार, अंधेरा और चेकिंग बैरियर
प्रारंभिक जांच के मुताबिक, ट्राला चालक पुलिस चेकिंग के कारण रफ्तार धीमी कर रहा था, लेकिन पीछे से आ रही तेज रफ्तार कार के ड्राइवर को बैरियर अचानक दिखाई दिया और ब्रेक लगाने का समय नहीं मिल सका। पहले बैरियर से टकराने के बाद कार सीधे ट्राले से जा भिड़ी।
यह इलाका रात में अपर्याप्त लाइटिंग, अचानक चेकिंग, और तेज रफ्तार वाहनों के कारण लगातार दुर्घटना-प्रवण बना हुआ है।
पहले भी हुए हैं गंभीर हादसे – वही जगह, वही खतरा
13 नवंबर 2024
एक बेकाबू कंटेनर ने कई वाहनों को टक्कर मारी।
- पिकअप वाहन खड्ड में गिरा
- चालक सुखदेव की मौत
- बेटा गंभीर रूप से घायल
- मौके पर ड्यूटी कर रहे GST विभाग के नवीन महर और एक PRD जवान भी बुरी तरह घायल
11 फरवरी 2023
शादी के बाद लौट रहे दूल्हा-दुल्हन की कार ने बाइक सवार मां-बेटे को टक्कर मारी।
- सहारनपुर निवासी मां-बेटे की मौके पर मौत
- दूल्हा, दुल्हन, कार चालक और पंडित घायल
अंधेरे में खतरा: रात में बनता है ‘मौत का बैरियर’
आशारोड़ी बैरियर रात के समय दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण बन चुका है।
- प्रकाश की व्यवस्था बेहद कमजोर
- नियमित स्थानीय चालकों को बैरियर का अंदाजा होता है, लेकिन
- बाहरी राज्यों से आने वाले वाहन तेज गति से आते हैं
- बैरियर दिखते ही अचानक ब्रेक, जिससे वाहन असंतुलित हो जाते हैं
यह स्थिति सिर्फ वाहन चालकों के लिए नहीं, बल्कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस और चेकिंग कर्मियों के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है।
क्यों नहीं हो रही स्थायी समाधान की पहल?
हर हादसे के बाद जिम्मेदार विभागों द्वारा
- हाईमास्ट लाइट लगाने के निर्देश
- बैरिकेडिंग सुधारने की बात
- चेकिंग की प्रक्रिया में बदलाव की घोषणा
की जाती है, लेकिन हकीकत में यह सब कागजों तक ही सीमित रह जाता है।
जनता की मांग: “बैरियर हटाओ या सुधारो, जिंदगी बचाओ”
स्थानीय लोगों और वाहन चालकों ने प्रशासन से मांग की है कि:
- बैरियर पर हाई विज़िबिलिटी साइनेज लगाए जाएं
- रात में स्पष्ट रोशनी व्यवस्था की जाए
- पुलिस चेकिंग को स्मार्ट तरीके से संचालित किया जाए, जिससे ट्रैफिक प्रभावित न हो
- स्पीड कंट्रोल तकनीक जैसे रंबल स्ट्रिप्स या कैमरा बेस्ड चालान सिस्टम लागू किया जाए
निष्कर्ष: एक सिस्टमिक फेलियर की गवाही दे रहा आशारोड़ी बैरियर
हर हादसे के बाद एक ही सवाल उभरता है – “क्या ये मौत रोकी जा सकती थी?”
आशारोड़ी चेकपोस्ट पर हादसे अब नियमित हो गए हैं। यह स्थान देहरादून की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है, जहां जान जाती है और सुधार की बात सिर्फ बयानों में रह जाती है।