स्थान: देहरादून | तारीख: 22 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश में संचालित एक संगठित मतांतरण रैकेट का तार अब उत्तराखंड से जुड़ता नजर आ रहा है। पूरे मामले में देहरादून पुलिस ने हरकत में आते हुए पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से तीन की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश पुलिस पहले ही कर चुकी है। अब इन आरोपियों को बी वारंट पर देहरादून लाने की तैयारी की जा रही है ताकि पूछताछ के जरिए पूरे नेटवर्क की परतें खोली जा सकें।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश पुलिस की छानबीन में सामने आया कि मतांतरण रैकेट चलाने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर केवल वहां ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड में भी सक्रिय नेटवर्क संचालित कर रहा था।
इस सिलसिले में देहरादून के रानीपोखरी थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, पांच आरोपियों ने सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम) के माध्यम से एक स्थानीय युवती को संपर्क कर मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाया।
अब तक की कार्रवाई:
- आरोपी अब्दुल रहमान, निवासी शंकरपुर (सहसपुर, देहरादून)
- अबु तालीव, निवासी मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)
- श्वेता, निवासी गोवा
गिरफ्तार कर लिए गए हैं। - जबकि अयान और अमन, दोनों निवासी दिल्ली, अभी फरार हैं और पुलिस की दबिश लगातार जारी है।
जांच का अगला चरण: बी वारंट से देहरादून में पूछताछ
देहरादून पुलिस इन गिरफ्तार आरोपियों को बी वारंट के जरिए हिरासत में लेकर यहां लाना चाहती है, ताकि उनसे पूछताछ कर यह जान सकें कि
- कितनी युवतियों को इस रैकेट ने निशाना बनाया?
- किन-किन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और तकनीकों का प्रयोग किया गया?
- इस रैकेट में और कौन-कौन शामिल है?
इसके साथ ही पीड़ित युवती के मोबाइल और सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहन जांच भी की जा रही है ताकि आरोपियों के पूरे नेटवर्क का डिजिटल ट्रेस तैयार किया जा सके।
एसएसपी अजय सिंह का बयान:
“देहरादून पुलिस ने पांच आरोपियों के विरुद्ध केस दर्ज किया है। तीन की गिरफ्तारी हो चुकी है। जैसे ही बी वारंट प्रक्रिया पूरी होगी, पुलिस टीम यूपी जाएगी और आरोपियों को दून लाकर पूछताछ करेगी। इससे उत्तराखंड में उनकी भूमिका और पीड़ितों की संख्या का खुलासा होगा।”
महत्वपूर्ण बिंदु:
- पूरे मामले को धार्मिक स्वतंत्रता कानून, आईटी एक्ट और मानव तस्करी से जुड़े धाराओं के अंतर्गत देखा जा रहा है।
- उत्तराखंड में ऐसे नेटवर्क के पुनरावृत्ति से रोकने के लिए सोशल मीडिया निगरानी बढ़ाई जा रही है।
- राज्य पुलिस अन्य जिलों में भी संदिग्ध गतिविधियों की छानबीन में जुट गई है।
यह मामला केवल अपराध नहीं, सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने पर भी हमला है। पुलिस का प्रयास है कि हर पीड़ित को न्याय मिले और भविष्य में कोई भी इस तरह के षड्यंत्र का शिकार न हो।