ऋषिकेश
उत्तराखंड के ऋषिकेश में रविवार को एक रहस्य और रोमांच से भरा घटनाक्रम सामने आया, जब नीलकंठ महादेव मंदिर से जलाभिषेक कर लौट रहे 24 श्रद्धालु जंगल के बीच रास्ता भटक गए। शाम ढलते-ढलते मौसम ने करवट ली और तेज बारिश के बीच श्रद्धालु गहराते अंधेरे में दिशा भ्रमित हो गए। सूचना मिलते ही पुलिस और वन विभाग में हड़कंप मच गया।
करीब ढाई घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद रात करीब 11:30 बजे सभी श्रद्धालु सुरक्षित खोज लिए गए, जिसके बाद उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचाकर सुरक्षित उनके गंतव्य को रवाना किया गया।
कैसे भटके श्रद्धालु?
रविवार को श्रावण मास के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर पहुंचे थे। जलाभिषेक के बाद वापसी के दौरान 24 श्रद्धालुओं का एक समूह जंगल के बीच से शॉर्टकट रास्ते पर चल पड़ा, जो आमतौर पर वन विभाग की गश्ती पगडंडी के तौर पर इस्तेमाल होता है।
लेकिन इसी बीच अचानक बारिश शुरू हो गई और अंधेरा छा गया। मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण कई घंटे तक वे बाहरी दुनिया से कटे रहे। रास्ता तलाशते हुए वे बार-बार एक ही जगह लौट आते, जिससे समूह में घबराहट बढ़ने लगी।
कैसे मिली सूचना?
समूह में शामिल एक युवक ने किसी तरह मोबाइल सिग्नल पकड़कर स्थानीय पार्षद सुरेंद्र सिंह नेगी को फोन किया और बताया कि वे जंगल में फंसे हुए हैं, लगातार दो घंटे से रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हर बार उसी जगह लौट आ रहे हैं।
सूचना मिलते ही पार्षद ने लक्ष्मणझूला थाने को जानकारी दी। अधिकांश श्रद्धालु कृष्णा कॉलोनी, बापू ग्राम और आसपास के क्षेत्र से थे।
रेस्क्यू अभियान: अंधेरे, बारिश और जंगल की चुनौती
- रात 9 बजे सूचना मिलने पर लक्ष्मणझूला थानाध्यक्ष संतोष पैंथवाल ने तुरंत वन विभाग की टीम के साथ संयुक्त सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
- सवा 9 बजे से शुरू हुआ रेस्क्यू अभियान, जिसमें तेज बारिश के बावजूद पुलिस और वनकर्मियों ने 2 से 3 किलोमीटर के घने जंगल क्षेत्र में सघन तलाशी ली।
- रात 11 बजे के करीब टीम को श्रद्धालुओं का समूह जंगल में मिला।
- रात 12:30 बजे तक सभी को सुरक्षित जंगल से बाहर निकाल लिया गया।
थानाध्यक्ष पैंथवाल ने बताया कि श्रद्धालु बेहद घबराए हुए थे, लेकिन सभी शारीरिक रूप से सुरक्षित थे।
बारिश और नेटवर्क ने बढ़ाई परेशानी
पुलिस के अनुसार, तेज बारिश और घना अंधेरा इस रेस्क्यू अभियान में सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आए। श्रद्धालुओं ने बताया कि बारिश से बचने के लिए वे अलग-अलग दिशाओं में चले गए थे, जिससे समूह में भी बिखराव हो गया था। मोबाइल नेटवर्क की कमी के कारण समय पर संपर्क नहीं हो सका।
सबक और सावधानी
इस घटना ने एक बार फिर से श्रद्धालुओं की सुरक्षा और जागरूकता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।
- अनधिकृत शॉर्टकट रास्तों से गुजरना जोखिम भरा हो सकता है।
- मोबाइल नेटवर्क न होने की स्थिति में समूह एकजुट रहे और शांत रहें।
- प्रशासन को ऐसे पगडंडी रास्तों पर संकेतक, गाइडलाइन और निगरानी व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष: राहत की सांस
यह रेस्क्यू ऑपरेशन एक सार्थक समन्वय का उदाहरण बना, जिसमें पुलिस, वन विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने तेजी और जिम्मेदारी से काम करते हुए 24 लोगों की जान सुरक्षित बचाई।
इस घटना ने जहां प्रशासन की सक्रियता की सराहना बटोरी, वहीं श्रद्धालुओं और यात्रियों के लिए एक जरूरी चेतावनी भी छोड़ी — कि प्रकृति के मार्ग में हर कदम सावधानी भरा होना चाहिए।