तारीख: 23 नवंबर 2025 | स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
बांग्लादेशी नागरिक के बाउंसर के रूप में पकड़े जाने से सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा खुलासा
राजधानी देहरादून के एक प्रमुख क्लब में बाउंसर के रूप में तैनात बांग्लादेशी युवक की गिरफ्तारी के बाद शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो साल से शहर में रह रहा ममून हसन बिना किसी सत्यापन के क्लब में नौकरी कर रहा था।
इस घटना के बाद पुलिस ने शहर के सभी बार–क्लबों में तैनात बाउंसरों की पृष्ठभूमि की जांच शुरू कर दी है।
बिना सत्यापन काम कर रहे बाउंसर, सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही उजागर
जांच के दौरान सामने आया कि कई बाउंसर केवल हष्ट-पुष्ट शरीर देखकर नियुक्त कर लिए जाते हैं।
उनकी पहचान, पृष्ठभूमि, नागरिकता या पुलिस सत्यापन तक नहीं किया जाता।
अधिकांश बार–क्लबों में यह लापरवाही लगातार जारी है, जिससे शहर की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों पर पुलिस की कड़ी निगरानी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि अब निजी सुरक्षा एजेंसियों से उनके कर्मचारियों के पूरे दस्तावेज और सत्यापन रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्राप्त की जाएंगी।
एजेंसी और क्लब प्रबंधन को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि बिना जांच किसी को भी सुरक्षा कार्यों में नियुक्त न किया जाए।
नियमों का उल्लंघन करने पर एजेंसियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तय है।
रीना चौहान की भूमिका पर भी जांच—बांग्लादेशी को हिंदी और चालढाल का दिया प्रशिक्षण
पुलिस जांच में बड़ा खुलासा यह भी हुआ कि रीना चौहान नाम की महिला ने ममून को हिंदी भाषा और स्थानीय व्यवहार का प्रशिक्षण दिया था।
दो साल पहले देहरादून आने के बाद रीना ने ममून को शहर की विभिन्न जगहों पर छिपाकर रखा और उसे ऐसे प्रशिक्षित किया कि वह आसानी से स्थानीय लोगों के बीच घुल-मिल सके।
जब ममून ने क्लब में नौकरी के लिए आवेदन किया तो उसका शरीर और फर्जी दस्तावेज देखकर उसे तुरंत बाउंसर की नौकरी दे दी गई—सत्यापन किए बिना।
पुलिस जुटा रही गहरी जानकारी—क्या था ममून और रीना का उद्देश्य?
अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है—
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ममून हसन का देहरादून में रहना किस उद्देश्य से था?
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क्या उसकी कोई आपराधिक या संदिग्ध पृष्ठभूमि है?
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रीना के साथ उसका संबंध क्या था?
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क्या कोई बड़ा नेटवर्क संचालित हो रहा है?
इस दिशा में इंटेलिजेंस यूनिट लगातार जांच कर रही है।
यह हैं नियम—PASA एक्ट का पालन अनिवार्य
पुलिस अधिकारियों ने याद दिलाया कि Private Security Agency Regulation Act (PASA) के अनुसार—
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प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी बिना लाइसेंस संचालित नहीं हो सकती।
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सुरक्षा गार्ड और बॉडीगार्ड की पृष्ठभूमि जांच अनिवार्य है।
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कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना एजेंसी की जिम्मेदारी है।
हालांकि, बाउंसरों के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है—और यही सबसे बड़ी कमजोरी बनकर सामने आई है।
इसके बावजूद, अब बाउंसरों को भी सिक्योरिटी स्टाफ की तरह ही पंजीकृत व सत्यापित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
निष्कर्ष: सुरक्षा में छेद का बड़ा खुलासा, अब शुरू होगा सख्त सत्यापन अभियान
बांग्लादेशी बाउंसर की गिरफ्तारी ने यह साफ कर दिया है कि बार और क्लबों में सुरक्षा को लेकर भारी लापरवाही हो रही है।
बिना पहचान और सत्यापन बाउंसरों की नियुक्ति किसी भी बड़े अपराध या सुरक्षा जोखिम को जन्म दे सकती है।
पुलिस ने चेतावनी दी है कि अब शहर की सभी प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों और क्लबों की कड़ी जांच की जाएगी, और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।


