दिनांक : 4 नवम्बर 2025
स्थान : देहरादून
देहरादून में उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने दवा कारोबार से जुड़ा अब तक का एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर किया है। जांच में सामने आया है कि साईं फार्मा नामक कंपनी ने बिना जीएसटी और ड्रग लाइसेंस के करीब 13 करोड़ रुपये की नकली दवाइयां कई राज्यों में बेचीं।
फर्जी कंपनी और करोड़ों का अवैध लेन-देन
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि जांच के दौरान यह पाया गया कि साईं फार्मा का पता पूरी तरह फर्जी था। एसटीएफ जब कंपनी के पते पर पहुंची तो वहां ऐसी कोई दवा फर्म संचालित नहीं पाई गई।
आरोपितों ने 18 अक्टूबर 2023 को फर्म का बैंक खाता खोला था, जबकि उसके पास न तो जीएसटी नंबर था और न ही ड्रग लाइसेंस। पिछले दो वर्षों में इस खाते से 13 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध लेन-देन पाया गया है।
नकली दवाइयों का व्यापार — कई राज्यों तक फैला नेटवर्क
जांच में यह भी सामने आया कि फर्म ने गेस्ट्रो, ब्लड प्रेशर और पेन किलर जैसी आम उपयोग की दवाइयों की नकली सप्लाई की। इन दवाइयों की बिक्री उत्तराखंड सहित कई अन्य राज्यों में की गई।
एसटीएफ ने बताया कि कंपनी के मालिक प्रदीप कुमार निवासी पानीपत (हरियाणा) को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया जा चुका है। उनके साथ उनकी पत्नी श्रुति और अन्य सहयोगियों ने मिलकर नकली दवाओं का कारोबार फैलाया था।
आरोपितों की पहचान और खातों की जांच
जांच में शामिल अन्य आरोपितों में —
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गौरव त्यागी और शोभा त्यागी (निवासी मोहनपुर, रुड़की हरिद्वार)
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अनुराधा (निवासी सर्वप्रिय विहार, कनखल हरिद्वार)
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अभिनव शर्मा (निवासी सर्वप्रिय विहार, कनखल हरिद्वार)
का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है।
इन सभी के यस बैंक, पीएनबी और एचडीएफसी खातों के जरिए करोड़ों रुपये का अवैध लेन-देन हुआ। एसटीएफ ने इन खातों को चिह्नित कर आगे की जांच शुरू कर दी है।
दस्तावेजों और जीएसटी रिकॉर्ड का अभाव
एसटीएफ जांच में पाया गया कि आरोपितों ने दवाइयों की खरीद-फरोख्त से संबंधित कोई बिल, रसीद या जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया। अधिकांश लेन-देन नकली फार्मों और बिना पंजीकरण वाले सप्लायरों से किए गए थे।
मुकदमा दर्ज, जांच जारी
डालनवाला कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज मैनवाल ने बताया कि एसटीएफ के एसआई नरोत्तम बिष्ट की तहरीर पर सभी छह आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
एसएसपी भुल्लर ने बताया कि फिलहाल साईं फार्मा और इससे जुड़ी अन्य कंपनियों के बैंक खातों, लेन-देन और सप्लाई चैन की विस्तृत जांच चल रही है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड एसटीएफ की इस कार्रवाई से एक बार फिर यह साबित हुआ है कि नकली दवाओं का व्यापार जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। पुलिस अब इस नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए अन्य राज्यों की एजेंसियों के साथ मिलकर कार्रवाई कर रही है।


