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बिहार SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: आधार- वोटर ID नागरिकता के प्रमाण नहीं, EC बोले- ड्राफ्ट सूची की गड़बड़ियां सुधारी जाएंगी

नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर जारी विवाद पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि आधार कार्ड और वोटर आईडी को अकेले नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता, इनके साथ अन्य दस्तावेज भी जरूरी हैं। वहीं चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया कि यह सिर्फ ड्राफ्ट सूची है और इसमें पाई गई गड़बड़ियों को अंतिम सूची जारी होने से पहले ठीक कर लिया जाएगा।

भरोसे की कमी का मामला
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह विवाद असल में भरोसे की कमी से उपजा है। आयोग ने अदालत को बताया कि बिहार के 7.9 करोड़ मतदाताओं में से करीब 6.5 करोड़ को किसी भी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि वे या उनके माता-पिता 2003 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज थे। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि जब 7.24 करोड़ मतदाताओं ने प्रक्रिया का जवाब दिया है, तो ‘1 करोड़ नाम गायब होने’ का तर्क ठोस नहीं लगता।

दस्तावेजों पर विवाद
याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील दी कि कई लोगों के पास आधार, राशन कार्ड और EPIC (वोटर कार्ड) होने के बावजूद इन्हें मान्यता नहीं दी जा रही। इस पर अदालत ने सवाल किया कि क्या बिना किसी दस्तावेज के भी किसी को मतदाता मान लिया जाए? अदालत ने साफ कहा कि नागरिकता साबित करने के लिए आधार और वोटर आईडी पर्याप्त नहीं हैं, साथ में अन्य प्रमाण भी आवश्यक हैं।

राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं की आपत्तियां
सुनवाई में अभिषेक मनु सिंघवी, प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव सहित कई नेताओं ने SIR की प्रक्रिया और आंकड़ों पर सवाल उठाए। योगेंद्र यादव ने दावा किया कि बिहार की वयस्क आबादी 8.18 करोड़ है, जबकि मतदाता संख्या 7.9 करोड़ बताई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR का मकसद ‘नाम हटाना’ है और उदाहरण दिए कि कुछ क्षेत्रों में जिंदा लोगों को मृत घोषित कर दिया गया, वहीं मृतकों के नाम सूची में मौजूद हैं।

चुनाव आयोग का पक्ष
ECI के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह केवल ड्राफ्ट रोल है, जिसमें गड़बड़ियां सामान्य हैं और इन्हें अंतिम सूची में सुधार लिया जाएगा। आयोग का लक्ष्य है कि मतदाता सूची को सटीक और शुद्ध बनाया जाए। उन्होंने बताया कि ड्राफ्ट सूची 1 अगस्त को प्रकाशित होगी, जबकि अंतिम सूची 30 सितंबर को जारी की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर बड़े पैमाने पर नाम काटे गए, तो वह तत्काल हस्तक्षेप करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे बड़े नेता
इस मामले में शीर्ष अदालत में आरजेडी सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, सीपीआई महासचिव डी. राजा, समाजवादी पार्टी सांसद हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद अरविंद सावंत, जेएमएम सांसद सरफराज अहमद, सीपीआईएमएल महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के साथ पीयूसीएल, एडीआर और योगेंद्र यादव जैसे कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

बुधवार को सुनवाई जारी रहेगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से SIR प्रक्रिया का पूरा डेटा प्रस्तुत करने को कहा है।

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