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राजाजी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की चाल से तय होगी वन कर्मियों की गश्त, WWF कर रहा सहयोग

देहरादून | 9 जून 2025

उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में अब वन्यजीवों की गतिविधियों के आधार पर वन कर्मियों की गश्त तय की जाएगी। वन विभाग ने यह कदम मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और वन्यजीवों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया है। इसके लिए रिजर्व के अहम कॉरिडोर क्षेत्रों में अध्ययन शुरू कर दिया गया है, जिसमें विश्व प्रकृति निधि (WWF) सहयोग कर रही है।

कैमरा ट्रैप से होगी मूवमेंट की निगरानी

राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक कोको रोसो ने जानकारी दी कि तीनपानी, आशारोड़ी-मोहन और चीला-मोतीचूर जैसे मुख्य वन्यजीव कॉरिडोर में कैमरा ट्रैप के माध्यम से जानवरों की आवाजाही का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। इससे यह जानकारी जुटाई जाएगी कि कौन सा जानवर, किस समय और किस स्थान पर सबसे अधिक सक्रिय होता है।

गश्त पैटर्न में बड़ा बदलाव

इस डेटा के आधार पर वन कर्मियों की गश्त का नया शेड्यूल तैयार किया जाएगा। अब गश्त स्थानीय वन्यजीवों की दिनचर्या के अनुसार होगी, जिससे न केवल सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष में भी कमी आने की उम्मीद है। साथ ही, भविष्य की विकास योजनाओं — जैसे अंडरपास या अन्य वन्यजीव मित्र ढांचे — के लिए विभाग के पास आवश्यक डेटा उपलब्ध रहेगा।

एक महीने से चल रहा अध्ययन

करीब एक महीने पहले शुरू किए गए इस अध्ययन के तहत उम्मीद की जा रही है कि इससे जंगल और मानव बस्तियों के बीच बढ़ते टकराव को रोकने में मदद मिलेगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड राज्य गठन (2000) से लेकर 2024 तक वन्यजीव हमलों में 1,221 लोगों की जान जा चुकी है


कार्बेट टाइगर रिजर्व में AI कैमरों से बढ़ी निगरानी क्षमता

वहीं दूसरी ओर, कार्बेट टाइगर रिजर्व में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल कर निगरानी को और स्मार्ट बनाया गया है। रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला के मुताबिक, AI कैमरे जंगल से बाहर आ रहे जानवरों की रीयल-टाइम पहचान कर सकते हैं, जिससे समय रहते उचित कदम उठाया जा सकता है।

AI कैमरों के सकारात्मक नतीजे सामने आने के बाद विभाग इनकी संख्या बढ़ाने की योजना पर विचार कर रहा है। हालांकि, यह कदम हाथियों से होने वाले नुकसान और अन्य जमीनी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उठाया जाएगा। तड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में पहले यह तकनीक आजमाई जा चुकी है, लेकिन वहां हाथियों की मौजूदगी नहीं थी।


निष्कर्ष

वन विभाग का यह आधुनिक दृष्टिकोण, जिसमें डाटा आधारित गश्त और एआई तकनीक शामिल है, न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा को नई दिशा देगा बल्कि स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा। अब जंगल की शांति को समझने के लिए इंसानों को जानवरों की चाल पर ध्यान देना होगा।

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