नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025 — संसद के मानसून सत्र में सोमवार को एक ऐतिहासिक और तेज़ घटनाक्रम देखने को मिला। आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025, जो 63 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को बदलने के लिए लाया गया है, लोकसभा में बिना किसी बहस के सिर्फ तीन मिनट में पारित हो गया। यह विधेयक अब राज्यसभा में पेश होगा और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा।
पुराने कानून की जटिलता होगी खत्म
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि नया कानून मौजूदा आयकर अधिनियम के आकार और जटिलता को काफी कम करेगा। इसमें धाराओं और अध्यायों की संख्या में भारी कटौती की गई है, जिससे शब्द संख्या लगभग आधी रह जाएगी। नए प्रावधान टीडीएस, छूट और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर केंद्रित हैं।
देरी से रिटर्न भरने वालों के लिए राहत
संशोधित विधेयक के तहत, ऐसे करदाता जो समयसीमा के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं, वे भी बिना पेनल्टी के रिफंड का दावा कर सकेंगे। साथ ही, ‘कर निर्धारण वर्ष’ और ‘पिछला वर्ष’ जैसी जटिल अवधारणाओं को हटाकर ‘कर वर्ष’ शब्द अपनाया गया है, जिससे समझना आसान हो जाएगा।
शिक्षा ऋण पर शून्य TCS
विधेयक में मौजूदा प्रावधान बनाए रखते हुए, विदेश में शिक्षा प्रयोजनों के लिए वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण (LRS) पर ‘शून्य’ TCS का प्रावधान किया गया है।
कंपनियों और निवेशकों के लिए बदलाव
नांगिया एंडरसन LLP के पार्टनर संदीप झुनझुनवाला के अनुसार, रियायती कर दर चुनने वाली कंपनियों के लिए कुछ अंतर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर कटौती फिर से लागू की गई है। हानियों को आगे ले जाने और समायोजित करने से जुड़े नियमों को संशोधित कर पुराने कानून के अनुरूप बनाया गया है।
तलाशी और जब्ती में डिजिटल एक्सेस का मुद्दा
नया कानून आयकर अधिकारियों को तलाशी के दौरान ताले तोड़ने और कंप्यूटर सिस्टम के एक्सेस कोड ओवरराइड करने का अधिकार देता है। हालांकि ‘डिजिटल स्पेस’ शब्द विधेयक से हटा दिया गया है, लेकिन इसकी परिभाषा में इसे कंप्यूटर सिस्टम के अंतर्गत शामिल किया गया है। कर विशेषज्ञों का मानना है कि 1 अप्रैल 2026 से कर अधिकारियों को ईमेल, सोशल मीडिया, बैंक खातों और ऑनलाइन निवेश प्लेटफ़ॉर्म तक पहुंच का अधिकार मिल सकता है, यदि कर चोरी का संदेह हो।
संसद में पारित होने की प्रक्रिया
यह विधेयक फरवरी 2025 में लोकसभा में पेश हुआ था और प्रवर समिति को भेजा गया था। समिति की सिफारिशों को शामिल करने के बाद 8 अगस्त को संशोधित रूप में वापस लाकर सोमवार को सदन में पारित किया गया। विपक्षी दलों के विरोध और हंगामे के बीच यह विधेयक ध्वनिमत से पास हो गया। अब राज्यसभा में पेश होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह नया आयकर कानून बन जाएगा।
इस तेज़ी से पारित हुए विधेयक को सरकार “सरल, पारदर्शी और करदाता-अनुकूल” सुधार बता रही है, जबकि गोपनीयता और डिजिटल अधिकारों को लेकर बहस आगे बढ़ने के आसार हैं।