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विजय दिवस पर शौर्य को नमन: गौरव सेनानी एसोसिएशन ने 1971 युद्ध के वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

 

देहरादून | 16 दिसंबर 2025

विजय दिवस के पावन अवसर पर गौरव सेनानी एसोसिएशन ने चीड़ बाग शौर्य स्थल, देहरादून में भारत–पाक युद्ध 1971 के अमर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में देश की एकता, अखंडता और सैन्य शौर्य को नमन करते हुए शहीदों के बलिदान को याद किया गया।


1971 की ऐतिहासिक विजय को किया याद

विजय दिवस भारतीय सशस्त्र बलों और मुक्ति वाहिनी की ऐतिहासिक जीत का प्रतीक है। 16 दिसंबर 1971 को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति के साथ बांग्लादेश का उदय हुआ था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जिसे विश्व सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में गिना जाता है। कार्यक्रम के दौरान इस गौरवपूर्ण अध्याय को स्मरण कर शहीदों को नमन किया गया।


विभिन्न मंडलों की सहभागिता, पुष्पांजलि अर्पित

श्रद्धांजलि सभा में एसोसिएशन के केंद्रीय नेतृत्व के साथ रायपुर, बालावाला, धर्मपुर, प्रेमनगर कैंट, संतोरगढ़-गुजराडा, ठाकुरपुर-श्यामपुर और क्लेमनटाउन मंडल के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे। सभी मंडलों ने अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार पुष्पमालाएं अर्पित कर अमर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।


पूर्व सैनिकों के हित में सतत प्रयास: महावीर सिंह राणा

एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर सिंह राणा ने कहा कि गौरव सेनानी एसोसिएशन सदैव शहीदों के प्रति समर्पित रही है। संगठन सैनिकों, पूर्व सैनिकों और पूर्व अर्धसैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयास करता रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सामाजिक कार्यों में भी एसोसिएशन की सक्रिय भूमिका रही है और आने वाले समय में प्रदेश भर के पूर्व सैनिकों व अर्धसैनिकों को एकजुट करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जाएगा।


ये रहे प्रमुख रूप से उपस्थित

कार्यक्रम में अध्यक्ष महावीर सिंह राणा के साथ उपाध्यक्ष मनवर सिंह रौथाण, बीरेंद्र कंडारी, खुशाल परिहार, दिनेश नैथानी, विजय भट्ट, हरीश सकलानी, मोहन सिंह रावत, विनोद नेगी, महावीर सिंह रावत, लक्ष्मण सिंह, कुलदेव सिंह नेगी सहित सैकड़ों गौरव सेनानी मौजूद रहे।


निष्कर्ष

विजय दिवस पर आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा न केवल 1971 के वीर शहीदों के बलिदान का स्मरण थी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति, एकजुटता और राष्ट्रसेवा का संदेश देने का सशक्त माध्यम भी बनी। गौरव सेनानी एसोसिएशन ने संकल्प दोहराया कि शहीदों की विरासत को सम्मान और सेवा के कार्यों के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा।

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