स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
तिथि: बुधवार, 29 अक्टूबर 2025
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने एक बार फिर अपने बेहतर वित्तीय प्रबंधन और राजकोषीय अनुशासन से देशभर में मिसाल कायम की है।
विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड ने दूसरा स्थान हासिल कर अपनी वित्तीय साख को मजबूत किया है।
केंद्रीय मूल्यांकन में उत्तराखंड को मिली बड़ी उपलब्धि
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थान अरुण जेटली नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट (AJNIFM) द्वारा जारी
कंपोजिट पब्लिक फाइनेंशियल परफॉर्मेंस इंडेक्स (CPFPI) में
उत्तराखंड ने अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
इस उपलब्धि ने राज्य को विशेष श्रेणी वाले हिमालयी राज्यों में अग्रणी बना दिया है।
वहीं, पड़ोसी हिमाचल प्रदेश इस सूची में काफी पीछे रह गया है, जो दर्शाता है कि उत्तराखंड ने वित्तीय अनुशासन और संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में एक ठोस पहचान बनाई है।
कैग की रिपोर्ट में भी उत्तराखंड सरप्लस राज्य
इससे पहले कैग (CAG) की 2013-14 से 2022-23 तक की रिपोर्ट में भी
उत्तराखंड को देश के उन 16 राज्यों में शामिल किया गया था जो राजस्व सरप्लस स्थिति में हैं।
राज्य की यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि धामी सरकार ने अपने संसाधनों से राजस्व बढ़ाने और घाटा नियंत्रण में उल्लेखनीय सुधार किया है।
वित्तीय प्रबंधन के 23 मानकों पर खरा उतरा उत्तराखंड
AJNIFM ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सभी राज्यों के प्रदर्शन को
23 प्रमुख मानकों पर परखा। इनमें संसाधन प्रबंधन, ऋण प्रबंधन,
घाटा नियंत्रण और राजकोषीय अनुशासन जैसे पहलू शामिल थे।
इन मानकों पर उत्तराखंड का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा —
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रिसोर्स मैनेजमेंट इंडेक्स (Resource Management Index) में उत्तराखंड पहले स्थान पर रहा।
इसका अर्थ है कि राज्य ने अपने आंतरिक संसाधनों का सबसे बेहतर उपयोग किया है। -
कंटीजेंट लायबिलिटी इंडेक्स (Contingent Liability Index) में भी उत्तराखंड पहले स्थान पर रहा,
जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य ने भविष्य की देनदारियों को संतुलित रखने में समझदारी दिखाई है। -
ऋण प्रबंधन (Debt Management Index) में उत्तराखंड ने पांचवां स्थान,
जबकि घाटा प्रबंधन (Deficit Management Index) में भी पांचवां स्थान प्राप्त किया। -
फाइनल कंपोजिट और ओवरऑल रैंकिंग में राज्य ने दूसरा स्थान हासिल कर
विशेष श्रेणी वाले राज्यों में अपनी वित्तीय क्षमता और जिम्मेदारी का लोहा मनवाया।
हिमाचल प्रदेश पिछड़ा, उत्तराखंड ने संभाली बढ़त
जहां उत्तराखंड वित्तीय प्रबंधन में लगातार प्रगति कर रहा है, वहीं
हिमाचल प्रदेश इन रैंकिंग्स में पिछड़ गया।
ऋण प्रबंधन में हिमाचल दसवें और घाटा प्रबंधन में छठे स्थान पर रहा।
यह तुलना स्पष्ट करती है कि उत्तराखंड ने राजकोषीय नीतियों में अधिक स्थिर और संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।
सरकार की नीतियों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना
धामी सरकार की वित्तीय नीतियों को अब केंद्रीय वित्तीय संस्थानों से भी मान्यता मिल रही है।
सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य के अपने स्रोतों को मजबूत किया है,
साथ ही अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण रखते हुए विकास कार्यों में संतुलन बनाए रखा है।
इन उपलब्धियों के कारण उत्तराखंड न केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रहा है,
बल्कि निवेश और विकास के नए अवसरों की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
निष्कर्ष: वित्तीय अनुशासन बना उत्तराखंड की नई पहचान
धामी सरकार की नीतियों ने यह साबित कर दिया है कि
छोटे राज्य भी अनुशासित वित्तीय प्रबंधन से राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
उत्तराखंड की यह उपलब्धि न केवल राज्य की आर्थिक सफलता की कहानी कहती है,
बल्कि अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनी है।


