देहरादून, 17 जून 2025
ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की आबोहवा पर वीकेंड ट्रैफिक भारी पड़ रहा है। हर सप्ताहांत हजारों की संख्या में दून घाटी में पहुंच रहे वाहनों से निकल रहा धुआं शहर की हवा को जहरीला बना रहा है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि परिवहन विभाग ने पिछले कुछ महीनों में वायु प्रदूषण फैलाने वाले 676 वाहनों से करीब दो करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है।
वीकेंड पर रिकॉर्ड तोड़ प्रदूषण
दून की हवा में PM-10 (पार्टिकुलेट मैटर), कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और बिना जले हाइड्रोकार्बन जैसे जहरीले तत्वों की मात्रा मानक सीमा से ऊपर जा रही है। शनिवार और रविवार को वायु प्रदूषण का स्तर सप्ताह के अन्य दिनों की तुलना में खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीष्मकालीन अवकाश में वाहन चालकों की बढ़ती संख्या ने दून के वायुमंडल में एक अदृश्य कार्बन परत बना दी है, जो न केवल पर्यावरण बल्कि आम नागरिकों की सेहत के लिए भी गंभीर खतरा है।
सड़कों पर बढ़ती जहरीली रफ्तार
वातावरणीय अध्ययन में सामने आया है कि देहरादून में बढ़ते ट्रैफिक से वातावरण में ये खतरनाक तत्व बढ़ रहे हैं:
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कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
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पार्टिकुलेट मैटर PM-10
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कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
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नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
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सीसा (Lead)
इनमें से कई तत्व सांस, फेफड़े और हृदय संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और सांस की बीमारी से पीड़ित लोग इनसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
विभाग ने कसे शिकंजे
परिवहन विभाग की छापेमारी और जांच में पाया गया कि कई वाहन पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) मानकों का उल्लंघन कर रहे थे। इन्हीं वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए विभाग ने भारी जुर्माना वसूला।
परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पर्यावरण की रक्षा और नियमों का पालन कराने के लिए नियमित जांच अभियान जारी रहेंगे। साथ ही, पर्यटकों और आम लोगों से अपील की गई है कि वे वाहनों की पीयूसी जांच समय-समय पर कराएं।
समाधान की राह कहां?
दून के पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो देहरादून की पहचान “ग्रीन वैली” से “गैस चैंबर” में बदल सकती है।
शहरवासियों की राय में—
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पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट को बेहतर बनाना होगा
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सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना जरूरी है
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टूरिस्ट व्हीकल्स पर सीमित संख्या में एंट्री दी जाए
निष्कर्ष
पर्यटन को बढ़ावा देना राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है, लेकिन इसके साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है। यदि वीकेंड पर दून आने वाले वाहनों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो आने वाले समय में दून की स्वच्छ और ठंडी हवा केवल इतिहास बनकर रह जाएगी।