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वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ का आरोप: SIR–AIR को लेकर कांग्रेस का बड़ा हमला, करन माहरा बोले—“चुनिंदा नाम हटाकर लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है”

देहरादून | उत्तराखंड | दिनांक: 7 दिसंबर 2025

उत्तराखंड में मतदाता सूचियों को लेकर सियासत गरमा गई है। एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) और एआईआर (ऑटोमेटेड इलेक्शन रजिस्ट्रेशन) की प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने दावा किया कि इन प्रक्रियाओं की आड़ में चुनिंदा मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने का प्रयास किया जा रहा है।


प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई प्रेस वार्ता

देहरादून स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड के कई जनपदों में एआईआर के नाम पर मतदाता सूचियों से नाम काटे जा रहे हैं। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह कार्य पारदर्शी तरीके से नहीं हो रहा है।


महिलाओं की वोटर पहचान पर संकट का दावा

करन माहरा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग, भाजपा के सहयोग से, उत्तराखंड के बाहर विवाह कर आई महिलाओं से वर्ष 2003 से पहले उनके माता-पिता के आधार कार्ड मांगा रहा है।
उनका कहना है कि इस तरह की शर्तों से हजारों महिलाओं की मतदाता पहचान खतरे में पड़ सकती है, जबकि संविधान सभी नागरिकों को समान मतदान अधिकार देता है।


चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल

कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनाव आयोग, जिसे देश में लोकतंत्र का सबसे मजबूत और निष्पक्ष स्तंभ माना जाता है, आज संदेह के घेरे में खड़ा दिखाई दे रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग निष्पक्ष भूमिका निभाने के बजाय सत्तारूढ़ दल की लाइन पर काम कर रहा है


चुनिंदा मतदाताओं को निशाना बनाने का आरोप

करन माहरा ने चेतावनी दी कि यदि वोटर लिस्ट से नाम हटाने की यह प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो कांग्रेस इसे सड़क से संसद तक उठाएगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में किसी भी नागरिक को मतदान के अधिकार से वंचित करने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


निष्कर्ष

एसआईआर और एआईआर को लेकर लगाए गए ये आरोप उत्तराखंड की राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहे हैं। कांग्रेस जहां इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रही है, वहीं चुनाव आयोग और भाजपा पर निष्पक्षता साबित करने का दबाव बढ़ गया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर और तूल पकड़ सकता है।

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