देहरादून | मंगलवार, 10 दिसंबर 2025
सिख समुदाय से जुड़ी टिप्पणी को लेकर उत्तराखंड की राजनीति में नया विवाद सामने आया है। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के बयान से आहत होकर देश के कई शहरों से आए सिख समुदाय के लोग देहरादून के डिफेंस कॉलोनी स्थित उनके आवास के बाहर पहुंचे और शांतिपूर्वक शबद कीर्तन कर विरोध जताया।
टिप्पणी से उपजा आक्रोश, घर के बाहर जुटे लोग
मंगलवार शाम करीब 30 से 35 लोग हरक सिंह रावत के आवास के बाहर एकत्र हुए। प्रदर्शनकारी सिख समाज से जुड़ी उस कथित उपहासात्मक टिप्पणी से नाराज थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जब तक हरक सिंह रावत स्वयं उनके सामने आकर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।
दिल्ली में हैं हरक सिंह रावत, पुलिस ने कराया शांतिपूर्ण समाधान
प्रदर्शन के समय हरक सिंह रावत देहरादून में मौजूद नहीं थे और वे फिलहाल दिल्ली में हैं। इस बात की जानकारी मिलने के बाद सिख समुदाय के लोगों ने मांग की कि रावत तत्काल दिल्ली से देहरादून लौटें और माफी मांगें।
स्थिति को देखते हुए स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों से संवाद किया। करीब एक घंटे तक चली बातचीत के बाद समुदाय के लोग दोबारा आने की बात कहते हुए शांतिपूर्वक वहां से लौट गए।
वीडियो वायरल होने के बाद देशभर से हुआ विरोध
बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत ने यह टिप्पणी अधिवक्ताओं के बीच बातचीत के दौरान की थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद देशभर से सिख समाज के लोगों ने नाराजगी जाहिर की और विरोध दर्ज कराया।
अधिवक्ताओं के बीच मांगी थी माफी
गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार को हरक सिंह रावत धरनारत अधिवक्ताओं के समर्थन में पहुंचे थे। उसी दौरान की गई टिप्पणी पर वहां मौजूद सिख समुदाय के अधिवक्ताओं ने तत्काल आपत्ति जताई, जिसके बाद रावत ने मौके पर ही उनसे माफी मांगी थी।
इतना ही नहीं, उन्होंने बार एसोसिएशन के सामने भी खेद प्रकट किया।
गुरुद्वारे पहुंचकर जताया पश्चाताप
घटना के बाद हरक सिंह रावत ने रविवार को पांवटा साहिब गुरुद्वारे पहुंचकर लंगर सेवा और जोड़ा सेवा की। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी देहरादून के रेसकोर्स स्थित गुरुद्वारे पहुंचे और समुदाय की भावनाओं के सम्मान में जोड़ा सेवा की।
हरक सिंह रावत का बयान
कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा—
“भाजपा के लोग कुछ भी बोल दें, उन्हें सब माफ है, लेकिन मेरे मुंह से कोई शब्द निकल जाए तो उसे धर्म से जोड़ दिया जाता है। कई बार अपनेपन में मजाक में कुछ बातें कह दी जाती हैं, उन्हें इतना तूल देना उचित नहीं है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्व में कई नेताओं के बयानों को भी बढ़ा-चढ़ाकर नहीं लिया गया, लेकिन उनके मामले में इसे विवाद बना दिया गया। रावत ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं को दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।
निष्कर्ष
हरक सिंह रावत की टिप्पणी को लेकर सिख समुदाय का विरोध यह दर्शाता है कि धार्मिक और सामाजिक भावनाओं से जुड़े विषयों पर सार्वजनिक मंचों पर दिए गए बयान कितने संवेदनशील हो सकते हैं। हालांकि रावत द्वारा माफी और धार्मिक स्थलों पर सेवा के प्रयास किए गए हैं, लेकिन समुदाय की नाराजगी अभी पूरी तरह शांत होती नहीं दिख रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि विवाद किस तरह सुलझता है और राजनीतिक स्तर पर इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं।


