देहरादून | 16 जून 2025 | विशेष रिपोर्ट
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को लेकर उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) पर सवाल खड़े हो गए हैं। नियमानुसार जहां तीन दिन में नया मीटर लग जाना चाहिए, वहीं हकीकत यह है कि उपभोक्ताओं को 10 से 15 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। इससे न केवल लोगों को असुविधा हो रही है, बल्कि ऊर्जा निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।
तीन दिन का नियम, लेकिन हकीकत में 15 दिन की देरी
ऊर्जा निगम ने एक जून 2025 से सभी नए बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर लगाने की व्यवस्था लागू की है। इस फैसले के तहत शहरी क्षेत्रों में तीन दिन के भीतर कनेक्शन देने का नियम है, लेकिन प्राकृतिक रूप से देरी अब आम बात बन चुकी है।
सामाजिक कार्यकर्ता गीता बिष्ट, जो प्रेमनगर क्षेत्र की पूर्व उपप्रधान भी हैं, ने इस व्यवस्था में सुधार की मांग करते हुए ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में यह स्पष्ट किया कि निगम नियम तो लागू कर रहा है, लेकिन संसाधनों और स्टाफ की कमी के चलते उसे पालन नहीं कर पा रहा।
क्या कहा सामाजिक कार्यकर्ता ने?
गीता बिष्ट ने अपने पत्र में लिखा:
“नियम है कि तीन दिन में मीटर लगना चाहिए, लेकिन लोगों को 15 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है। जब संसाधन और कर्मचारी नहीं हैं, तो पुरानी मीटर व्यवस्था को फिलहाल चालू रखा जाए।”
सीलिंग प्रक्रिया में भी गड़बड़ी: कंपनी के कर्मचारी कर रहे हस्ताक्षर
शिकायत में यह गंभीर आरोप भी शामिल है कि जिन उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, उनकी सीलिंग पर निगम के अवर अभियंता की जगह कंपनी प्रतिनिधि खुद हस्ताक्षर कर रहे हैं।
यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि भविष्य में कानूनी विवाद की स्थिति पैदा कर सकता है। यदि उपभोक्ता किसी स्थिति में अदालत की शरण लेते हैं, तो ऊर्जा निगम को जवाब देना मुश्किल हो सकता है।
क्या कहता है नियम और क्या हो सकता है असर?
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विद्युत नियामक आयोग का आदेश:
शहरी क्षेत्रों में तीन दिन के भीतर नया कनेक्शन अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए। -
वास्तविकता:
भुगतान के बाद 10-15 दिन तक मीटर नहीं लगाए जा रहे हैं। -
संभावित परिणाम:
देरी होने पर ऊर्जा निगम पर आर्थिक दंड (पेनल्टी) लग सकता है। -
सुझाव:
जब तक हर डिवीजन व उपखंड कार्यालय में पर्याप्त स्टाफ व संसाधन नहीं होते, पुरानी मीटर व्यवस्था लागू रखी जाए।
ऊर्जा निगम पर दबाव: जनता और प्रशासन की निगाहें
अब जब मामले ने मीडिया और जन जागरूकता का रूप ले लिया है, ऊर्जा निगम के प्रबंधन पर जवाबदेही तय करने का दबाव बढ़ रहा है। यह देखा जाना बाकी है कि निगम इस शिकायत पर कार्रवाई करता है या सिर्फ फाइलों में दबी रह जाती है।