देहरादून, 27 जुलाई 2025
देहरादून में स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों की योजनाएं ज़रूर चल रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत तार-तार है। शहर की सड़कों, गलियों और मुख्य बाजारों में बिजली, इंटरनेट, केबल और टेलीफोन कंपनियों के अवैध तारों का मकड़जाल बिछा हुआ है, जो न सिर्फ शहर की खूबसूरती बिगाड़ रहा है, बल्कि जानलेवा खतरे बनता जा रहा है।
हर मोड़, हर चौराहा — तारों की जकड़ में दून
- पटेलनगर से सहारनपुर रोड,
- राजपुर रोड से जीएमएस रोड,
- झंडा बाजार से प्रिंस चौक,
- कांवली रोड से हरिद्वार बाईपास तक —
हर जगह बिजली के खंभे तारों के गुच्छों से लदे हैं। कई जगह तार सड़क तक झूलते हैं, तो कहीं ये झाड़ियों और पोल पर उलझे हैं।
पैदल चलने वाले लोग सिर झुकाकर चलने को मजबूर हैं, और बाइक सवारों के लिए ये तार सीधा मौत का फंदा बन सकते हैं।
हादसे का इंतजार कर रही व्यवस्थाएं?
- शॉर्ट-सर्किट की घटनाएं अब आम हैं
- लटके तारों से वाहनों को खतरा
- कई इलाकों में झुके हुए खंभे गंभीर संकेत हैं
इन हालातों के बावजूद ऊर्जा निगम और नगर निगम की चुप्पी इस अराजकता को और बढ़ावा दे रही है।
विकास के नाम पर बिखरी अव्यवस्था
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत भूमिगत केबलिंग और ट्रैफिक सुधार जैसे वादे किए गए थे, लेकिन ज़मीनी सच्चाई उलटी है। अधिकारियों का तर्क है कि ‘राइट ऑफ वे’ पॉलिसी में जुर्माने या निगरानी की स्पष्ट व्यवस्था नहीं है, इसलिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
पुराने प्रयास, फिर वही हाल
- दो साल पहले नगर निगम ने सभी केबल/इंटरनेट कंपनियों को तार व्यवस्थित करने के निर्देश दिए थे
- जब अनदेखी हुई तो तार काटने की कार्रवाई शुरू की गई थी
- उस समय कुछ सुधार दिखा, लेकिन कुछ ही महीनों में हालात फिर पहले जैसे
अब स्थिति और भी बदतर हो गई है।
कहां-कहां सबसे ज्यादा गड़बड़ी?
इलाका | समस्या |
---|---|
पटेलनगर-कारगी रोड | सड़क तक झूलते तार, ट्रैफिक खतरे में |
झंडा बाजार | पोलों पर तारों का ढेर, लीगल-अवैध का अंतर नहीं |
सहारनपुर रोड | तार ज़मीन तक लटके, राहगीरों को खतरा |
गांधी रोड | टेलीफोन पोल पर भी तारों की भरमार |
क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?
ऊर्जा निगम भी मानता है कि कई जगह बिना अनुमति तार लगाए गए हैं।
छिटपुट कार्रवाई हुई, लेकिन ऑपरेटर फिर से तार जोड़ देते हैं।
स्थायी समाधान के लिए अब तक कोई नीति लागू नहीं की गई है।
‘तारों का शहर’ बना टूरिज्म हब
देहरादून जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर तेजी से उभरा है, वहीं शहर की यह तस्वीर बाहर से आने वाले पर्यटकों को हैरान करती है।
शहर की सुंदरता तारों के मकड़जाल में छिपती जा रही है।
अब क्या ज़रूरी है?
- केबलिंग का डिजिटली मैपिंग सिस्टम
- अवैध तारों पर तत्काल हटाने की मुहिम
- RWA और लोकल वेंडर की संयुक्त निगरानी
- बिजली/इंटरनेट कंपनियों के लिए सख्त लाइसेंसिंग
- ज़िम्मेदार विभाग तय कर नियमित चेकिंग अभियान
शहरवासियों की मांग
“हमें स्मार्ट सिटी नहीं, सुरक्षित शहर चाहिए। अव्यवस्थित तार हादसों की दावत हैं, कोई बड़ी दुर्घटना होने से पहले प्रशासन जागे।”