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स्वतंत्रता दिवस पर ‘आयुष फाउंडेशन’ बनी उम्मीद की किरण: बेटे को कैंसर में खोया, अब बचा रहे सैकड़ों की जान

देहरादून, 10 अगस्त 2025

जिंदगी के सबसे बड़े दर्द को संजीव कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी ने दूसरों के जीवन में नई रोशनी जगाने का संकल्प बना दिया। देहरादून के इस दंपती ने अपने इकलौते बेटे आयुष को कैंसर में खोने के बाद ‘आयुष फाउंडेशन’ की शुरुआत की, जो अब निर्धन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने के लिए मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है और गरीब बच्चों की शिक्षा का खर्च भी उठा रहा है।

बेटे की याद में शुरू हुई मुहिम
संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) हरिद्वार से सेवानिवृत्त अधिकारी संजीव कुमार मिश्रा और उनकी पत्नी के लिए उनका 23 वर्षीय बेटा आयुष पूरी दुनिया था। पढ़ाई में अव्वल और सपनों से भरा आयुष अपने करियर की तैयारी कर रहा था, लेकिन अचानक फेफड़े के पास कैंसर की चपेट में आ गया। समय रहते पहचान के बावजूद, आयुष को बचाया नहीं जा सका। इस गहरे सदमे ने मिश्रा दंपती की जिंदगी बदल दी।

महिलाओं को दे रहे मुफ्त कैंसर वैक्सीन
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए लगने वाली महंगी वैक्सीन (प्रति डोज 1600-2200 रुपये) अब फाउंडेशन के जरिए पूरी तरह मुफ्त दी जा रही है। अब तक 150 से अधिक बालिकाएं और 35 वर्ष तक की महिलाएं इसका लाभ उठा चुकी हैं। इसके लिए देहरादून के विभिन्न आश्रमों और इलाकों में नियमित स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं।

अपने पैसों से चला रहे अभियान
मिश्रा अपनी पेंशन से इस अभियान का पूरा खर्च उठाते हैं। हाल ही में कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी उनकी मुहिम से जुड़ गए हैं। मिश्रा दंपती का लक्ष्य है कि आने वाले समय में बड़े पैमाने पर सेवा शिविर आयोजित किए जाएं और अधिक से अधिक महिलाओं तक यह सुविधा पहुंचे।

शिक्षा में भी निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका
फाउंडेशन केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। यह पहाड़ और दूरस्थ क्षेत्रों के छह निर्धन बच्चों की शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठा रहा है। इन बच्चों को देहरादून के प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, जहां उनकी फीस, किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य आवश्यकताओं का खर्च फाउंडेशन वहन करता है।

मिशन का संदेश
संजीव कुमार मिश्रा कहते हैं,

“जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें अपने दुख को किसी के चेहरे की मुस्कान बनाने में बदलना चाहिए। किसी की बेबसी उसकी जिंदगी खत्म न कर सके, इसके लिए हमें अपनी क्षमता के अनुसार मदद करते रहना चाहिए।”

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