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हरक सिंह रावत की टिप्पणी पर मचा सियासी बवाल, सिख समुदाय की भावनाएँ आहत, राजधानी में प्रदर्शन व पुतला दहन

देहरादून | दिनांक: 06 दिसम्बर 2025

राजधानी देहरादून में कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का एक बयान सियासी और सामाजिक विवाद का कारण बन गया। वकीलों के धरनास्थल पर समर्थन देने पहुंचे हरक सिंह रावत की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से सिख समुदाय की भावनाएँ आहत हो गईं, जिसके बाद विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया।


वकीलों के धरने में बिगड़े बोल

हरक सिंह रावत शुक्रवार को हरिद्वार रोड स्थित वकीलों के धरनास्थल पर पहुंचे थे। यह धरना वकीलों की मांगों को लेकर 26वें दिन जारी था। इसी दौरान एक सिख वकील अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ, जिस पर हरक सिंह ने उन्हें बैठने के लिए ऐसा कथन कह दिया, जिसे सिख समाज ने आपत्तिजनक और असम्मानजनक बताया।

धरनास्थल पर मौजूद वकीलों ने तुरंत आपत्ति जताई और विरोध शुरू हो गया। माहौल बिगड़ता देख हरक सिंह रावत को वहीं माफी मांगनी पड़ी और धरनास्थल छोड़ना पड़ा।


शहर में गूंजा विरोध, घंटाघर पर पुतला दहन

इस घटना के बाद सिख समाज में भारी रोष देखने को मिला। शनिवार को सिख समुदाय के लोगों ने घंटाघर चौक, देहरादून में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया और हरक सिंह रावत का पुतला दहन किया। प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक रूप से माफी और भविष्य में ऐसे बयानों से बचने की मांग की।


बार एसोसिएशन कार्यालय में रखी सफाई

विवाद बढ़ने के बाद शाम को हरक सिंह रावत जिला न्यायालय स्थित बार एसोसिएशन कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने वकीलों के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका किसी भी समुदाय का अपमान करने का उद्देश्य नहीं था।

उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित सिख वकील से उनके व्यक्तिगत संबंध हैं और उनकी बात को गलत संदर्भ में लिया गया। उन्होंने कहा कि सिखों के शौर्य और बलिदान के इतिहास को ध्यान में रखते हुए उन्होंने वह बात कही थी, लेकिन यदि फिर भी किसी की भावना आहत हुई है तो वह हृदय से क्षमा चाहते हैं


सिख समाज की दो टूक

सिख समुदाय का कहना है कि सार्वजनिक मंचों पर जिम्मेदार पदों पर रहे नेताओं को शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। उनका मानना है कि क्षमा जरूरी है, लेकिन सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण


निष्कर्ष

हरक सिंह रावत का बयान भले ही अनजाने में दिया गया हो, लेकिन उसने सामाजिक सौहार्द और सियासी मर्यादाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि सार्वजनिक जीवन में जुड़े नेताओं को हर समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हुए बेहद संयमित भाषा का प्रयोग करना चाहिए, ताकि ऐसे विवाद भविष्य में पैदा न हों।

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