BREAKING

हरिद्वार चंडी देवी मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को भेजा नोटिस, रिसीवर नियुक्ति पर लगाई रोक

नई दिल्ली/हरिद्वार, 28 जुलाई 2025

चंडी देवी मंदिर के प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर उठे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मंदिर के सेवायत (परंपरागत पुजारी) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। साथ ही बदरी-केदार मंदिर समिति को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश पर भी कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है।


मंदिर प्रबंधन को लेकर उठा कानूनी विवाद

हरिद्वार स्थित मां चंडी देवी मंदिर के सेवायत महंत भवानी नंदन गिरी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बिना किसी ठोस आधार या शिकायत के मंदिर का प्रशासनिक कार्य बदरी-केदार मंदिर समिति को सौंप दिया, जो कि न तो कानूनी है और न ही उचित।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ देवे और अधिवक्ता अश्विनी दुबे द्वारा दायर इस याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने सेवायत पक्ष को सुने बिना आदेश पारित कर दिया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।


कोर्ट की टिप्पणी: निर्णय याचिका के परिणाम पर निर्भर

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस एसवीएन भट्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि बदरी-केदार मंदिर समिति की ओर से लिया गया कोई भी निर्णय सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। अदालत ने उत्तराखंड सरकार को दो सप्ताह की समय-सीमा में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।


मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

मां चंडी देवी मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई मानी जाती है। याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके पूर्वज सदियों से सेवायत (पुजारी) के रूप में इस मंदिर की सेवा और प्रबंधन करते आए हैं।


क्या है याचिका में मुख्य आपत्तियाँ?

  • बिना शिकायत और साक्ष्य के प्रशासनिक अधिकार छीने गए।
  • हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान ही रिसीवर नियुक्त कर दिया।
  • पूर्व में गठित DM-SSP की समिति पहले से सक्रिय थी और उसने कभी शिकायत नहीं की।
  • सेवायत पक्ष को न सुना गया, न नोटिस दिया गया — सीधा आदेश जारी किया गया।

विवाद के पीछे क्या है?

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब एक आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने रिसीवर नियुक्त करने का आदेश पारित कर दिया, जिससे मंदिर का प्रबंधन बदरी-केदार मंदिर समिति को सौंप दिया गया। अब सेवायत पक्ष इस आदेश को चुनौती दे रहा है और परंपरागत अधिकारों की बहाली की मांग कर रहा है।


क्या आगे होगा?
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने की ओर इशारा करता है। अब उत्तराखंड सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करना होगा। इसके बाद अदालत तय करेगी कि चंडी देवी मंदिर का प्रशासनिक नियंत्रण किसके पास रहेगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *