हरिद्वार, 10 अक्टूबर 2025
राज्य में चर्चित हरिद्वार जमीन घोटाले मामले में उत्तराखंड सरकार ने कार्रवाई का दायरा और सख्त कर दिया है। सरकार ने नगर निगम हरिद्वार द्वारा ग्राम सराय क्षेत्र में की गई संदिग्ध भूमि खरीद में संलिप्त तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति राज्य सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर दृढ़ता से काम कर रही है।”
तीन अफसरों पर गिरी गाज
मामले में गृह विभाग ने आदेश जारी करते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी और तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की है।
इन अधिकारियों पर हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास अनुपयुक्त भूमि की खरीद में अनियमितताओं के आरोप हैं।
निलंबित एसडीएम अजयवीर सिंह पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर एसडीएम अजयवीर सिंह (निलंबित) के खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली, 2003 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारंभ की गई है।
अजयवीर सिंह को पहले ही आरोपपत्र जारी कर अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था। उन्होंने 16 सितंबर को लिखित जवाब देकर सभी आरोपों से इनकार किया था।
डॉ. आनंद श्रीवास्तव को मिली जांच की जिम्मेदारी
सरकार ने निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए अपर सचिव (आईएएस) डॉ. आनंद श्रीवास्तव को अजयवीर सिंह के विरुद्ध जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
उन्हें एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, सचिव (आईएएस) सचिन कुर्वे को तत्कालीन डीएम कर्मेन्द्र सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी के खिलाफ जांच का दायित्व सौंपा गया है।
54 करोड़ में खरीदी गई अनुपयुक्त जमीन
मामले की जड़ में वह विवादित सौदा है, जिसमें हरिद्वार नगर निगम ने ग्राम सराय में 2.3070 हेक्टेयर अनुपयुक्त भूमि को 54 करोड़ रुपये की भारी राशि में खरीदा था।
यह जमीन कूड़े के ढेर के पास स्थित थी और सरकारी मानकों के अनुसार अनुपयुक्त मानी गई।
सरकार पहले ही इस मामले में दो आईएएस, एक पीसीएस और कुल 12 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित कर चुकी है।
मुख्यमंत्री धामी का सख्त रुख
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,
“राज्य सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर दृढ़ता से कार्य कर रही है। शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी स्तर पर अनियमितता पाए जाने पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी — चाहे वह किसी भी स्तर का अधिकारी क्यों न हो।”
निष्कर्ष
हरिद्वार जमीन घोटाले में विभागीय जांच की शुरुआत के साथ ही राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी की “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत अब इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
राज्य प्रशासन का यह कदम पारदर्शी शासन और जवाबदेही की दिशा में एक सशक्त संकेत माना जा रहा है।