मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर विजिलेंस जांच के आदेश, करोड़ों में खरीदी गई अनुपयुक्त भूमि की रजिस्ट्री होगी निरस्त
देहरादून/हरिद्वार, 4 जून 2025 — हरिद्वार में करोड़ों रुपये की भूमि खरीद घोटाले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए मंगलवार को बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया। ज़मीन खरीद में अनियमितताओं के आरोप में हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी और तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह सहित सात अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, हरिद्वार नगर निगम ने ग्राम सराय क्षेत्र में कूड़े के ढेर के पास स्थित 2.3070 हेक्टेयर अनुपयुक्त भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदा था। इस पर सवाल उठने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। सचिव रणवीर सिंह चौहान की प्राथमिक जांच रिपोर्ट 29 मई को शासन को सौंपी गई थी, जिसके आधार पर यह कार्रवाई की गई।
कार्मिक विभाग ने जारी किए निलंबन आदेश, विशेष ऑडिट के भी निर्देश
मंगलवार को कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने सभी सात अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी किए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में किए गए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट किया जाए।
निलंबित किए गए अधिकारियों को कार्मिक एवं सतर्कता विभाग में संबद्ध कर दिया गया है। मामले की विस्तृत जांच अब विजिलेंस विभाग करेगा, ताकि इस घोटाले में शामिल सभी जिम्मेदारों की पहचान की जा सके।
ये अधिकारी हुए निलंबित:
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कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, हरिद्वार (तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम हरिद्वार)
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वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार
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अजयवीर सिंह – तत्कालीन एसडीएम, हरिद्वार
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निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम
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विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
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राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार
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कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार
पूर्व में हो चुकी है पांच अधिकारियों पर कार्रवाई
इस मामले में पहले ही पांच अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है। इनमें दो अधिकारियों का सेवा विस्तार समाप्त किया गया, जबकि तीन को निलंबित किया गया है:
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रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा विस्तार समाप्त)
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आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
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लक्ष्मी कांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
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दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता (निलंबित)
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वेदपाल – संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)
रजिस्ट्री होगी निरस्त, धन की होगी रिकवरी
मुख्यमंत्री धामी ने आदेश दिए हैं कि घोटाले से संबंधित भूमि की रजिस्ट्री को निरस्त किया जाए और भूस्वामियों को किए गए भुगतान की वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाए।
तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी की भूमिका को लेकर सवाल उठे हैं और उनके पूरे कार्यकाल के दौरान किए गए सभी वित्तीय लेन-देन और योजनाओं की भी गहन जांच होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा: “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,
“हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में पद नहीं, बल्कि कर्तव्य और जवाबदेही महत्वपूर्ण है। चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, यदि वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो उस पर कार्रवाई निश्चित है। उत्तराखंड में हम भ्रष्टाचार मुक्त कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं। सभी लोक सेवकों को इसी मानक पर खरा उतरना होगा।”
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