तारीख: 12 अगस्त 2025
स्थान: उत्तरकाशी, उत्तराखंड
हालिया प्राकृतिक आपदा ने उत्तराखंड के सबसे बड़े बागवानी केंद्रों में से एक, उत्तरकाशी जिले को गहरी चोट दी है। यहां के ग्रामीणों के घरों, होटलों और खेतों के साथ-साथ बगीचे भी मलबे में समा गए। उद्यान विभाग की प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट बताती है कि राज्य के कुल 10,480.18 हेक्टेयर बगीचों में से 7,502.59 हेक्टेयर का नुकसान अकेले उत्तरकाशी में हुआ, यानी 70% से अधिक बगीचे तबाह हो गए।
धराली और आसपास का इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित
धराली में सेब और राजमा की 3 हेक्टेयर से अधिक फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। जखोल, सुनकुण्डी, धारा, पांव मल्ला, पांव तल्ला और नूराणु गांवों में आलू, राजमा और मडुवा की 3.903 हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद हो गईं।
धराली निवासी जय भगवान पंवार बताते हैं, “हमारा होटल, घर और पांच नाली जमीन पर लगे 200 सेब के पेड़ सब कुछ मलबे में दब गया। इंटरमीडिएट से पढ़ाई करते-करते जोड़ी गई पूंजी और मेहनत एक पल में खत्म हो गई।” इसी तरह माधवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि कई ग्रामीणों के सेब के बगीचे पूरी तरह खत्म हो गए और जो बचे हैं, वे सड़कें टूटने की वजह से बाजार तक फल नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
धान, सोयाबीन और चौलाई भी संकट में
भटवाड़ी, क्यार्क और रैथल गांव में आलू, राजमा, धान, सोयाबीन और चौलाई की एक हेक्टेयर से अधिक फसलें नष्ट हो गईं। राज्य में कुल मिलाकर 117 हेक्टेयर से अधिक कृषि फसल का नुकसान दर्ज किया गया है।
अन्य जिलों में भी भारी नुकसान
टिहरी जिला बागवानी नुकसान के मामले में दूसरे स्थान पर है, जहां 1,565 हेक्टेयर बगीचे प्रभावित हुए हैं। देहरादून जिले के डोईवाला, रायपुर, चकराता और विकासनगर क्षेत्रों में 955 हेक्टेयर बगीचे नुकसान की चपेट में आए।
अपर निदेशक कृषि, एके उपाध्याय ने बताया कि यह सिर्फ प्रारंभिक सर्वे है। राजस्व, उद्यान और कृषि विभाग के अधिकारी विस्तृत सर्वे करेंगे और उसके बाद आपदा प्रबंधन विभाग मानकों के आधार पर किसानों को फसल क्षतिपूर्ति प्रदान करेगा।