Dehradun Schools दून के निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर जिलाधिकारी सख्त लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी। सीडीओ ने स्कूल संचालकों के साथ बैठक कर पांच साल के फीस स्ट्रक्चर की जांच की। आरटीई एक्ट के अनुसार तीन साल में अधिकतम 10% फीस बढ़ोतरी का नियम लागू करने के निर्देश। अभिभावकों को निश्चित दुकान से सामान खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाना अनिवार्य।
स्कूल तीन वर्ष में अधिकतम 10% की फीस वृद्धि
वार्ता में स्कूल संचालकों को सख्त हिदायत दी गई कि उन्हें राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट का पालन करना होगा। स्कूल संचालकों को स्पष्ट कहा गया कि एक्ट के अनुसार स्कूल तीन वर्ष में अधिकतम 10 प्रतिशत की फीस वृद्धि कर सकते हैं।
अभिभावकों पर नहीं बना सकते दबाव
जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि स्कूल अभिभावकों पर निश्चित दुकान से यूनिफार्म या कापी-किताब खरीदने का दबाव नहीं बना सकते हैं। इस तरह की शिकायत मिलने पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
एनसीईआरटी की किताबों को लगाना अनिवार्य
जिलाधिकारी ने कहा कि स्कूल संचालकों को राज्य सरकार के नियमों के बारे में भी बताया गया है। इसके साथ ही उन्हें हिदायत दी गई है कि एनसीईआरटी की पुस्तकों से ही पढ़ाई करवाएं। इस नियम का पालन न किए जाने पर भी कार्रवाई की जाएगी।
मनमानी फीस बढ़ाने की शिकायत
निजी स्कूलों की फीस की समीक्षा करते हुए जिला प्रशासन ने पाया कि दून के कई प्रतिष्ठित विद्यालयों ने मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई है। इसमें एन मैरी स्कूल को फीस स्ट्रक्चर को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए। वहीं, ज्ञानंदा स्कूल और सेंट जोजफ्स एकेडमी का फीस स्ट्रक्चर सही पाया गया है। समर वैली व अन्य निजी स्कूलों की समीक्षा बुधवार को की जाएगी।
पहली बार कार्रवाई की जद में आए स्कूल संचालक
राजधानी दून में निजी स्कूलों की मनमानी का किस्सा नया नहीं है। प्रत्येक शिक्षा सत्र में अभिभावक और तमाम संगठन स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी व अन्य दबाव का खुलकर विरोध करते हैं। लेकिन, प्रशासन से लेकर शासन के अधिकारी तक निजी स्कूल प्रबंधन के दबाव में नजर आते हैं।
ऐसे में कुछ हिदायत के बाद आगे की कार्रवाई नहीं की जाती। हालांकि, जिलाधिकारी सविन बंसल ने निजी स्कूल संचालकों की मनमानी और मजबूर अभिभावकों का संज्ञान लिया है। जिला प्रशासन ने पहले मनमानी करने वाले बुक डिपो पर शिकंजा कसा और अब कार्रवाई की जद में निजी स्कूल संचालक भी आ गए हैं।
जिला प्रशासन की कार्रवाई से दून के लाखों अभिभावकों को राहत मिलेगी और स्कूलों की मनमानी थमेगी। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी अधिकारी ने अभिभावकों की पीड़ा को समझते हुए कड़े कदम उठाए हैं। – आरिफ खान, केंद्रीय अध्यक्ष, नेशनल एसोसिएशन फार पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स