देहरादून। पहलगाम का बदला जिस तरह भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से लिया, वह बताता है कि भारत रक्षा शक्ति में नए मुकाम पर पहुंच गया है। यह कहना है डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) से जुड़े रक्षा अनुसंधान विशेषज्ञों का।डीआरडीओ के विभिन्न प्रतिष्ठानों में तैनात रहे रक्षा अनुसंधान विशेषज्ञों ने कहा कि जिस तरह ऑहमारी सेनाओं ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को मिसाइलों से निशाना बनाया, उसका संदेश पूरी दुनिया तक गया है।
डिफेंस इक्ट्रानिक्स एप्लिकेशन लेबोरेटरी (डील) के पूर्व निदेशक और वर्तमान में डीआरडीओ के महानिदेशक (प्रौद्योगिकी प्रबंधन) एलसी मंगल का कहना है कि भारतीय सेनाओं को रक्षा अनुसंधान पर पूरा साथ मिल रहा है। डीआरडीओ सेना की जरूरत के हिसाब से अपनी दक्षता निरंतर बढ़ा रहा है।
मेक इन इंडिया की मुहिम के बाद से भारत की रक्षा शक्ति तेजी से बढ़ी है। यह रक्षा शक्ति का ही परिचय है कि पलभर में ही भारतीय जांबाजों ने अपनी सीमा के भीतर से ही पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।वहीं, देहरादून स्थित यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आइआरडीई) के पूर्व निदेशक डा. एसएस नेगी ने कहा कि डीआरडीओ के सभी प्रतिष्ठान सेनाओं की ताकत बढ़ाने में जुटी हैं। बीते एक दशक में भारतीय सेना की ताकत विश्व की अग्रणी पंक्ति में खड़ी हो चुकी है।
रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में पर्याप्त बजटीय प्राविधान और मेक इन इंडिया को बल देने से हम न सिर्फ खुद के लिए बेहतर हथियार बना रहे हैं, बल्कि दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहे हैं। इस तरह की सैन्य अनुसंधान की क्षमता रणनीतिक स्थिति में भी देश को आगे रखती है।
आइआरडीई के ही पूर्व निदेशक डा. डीपी जुयाल भी पाकिस्तान में दिखाई गई सैन्य शक्ति से गदगद हैं। उनका कहना है कि आज डीआरडीओ से देश की सेनाओं को भरपूर सहयोग मिल रहा है। केंद्र की मोदी सरकार हर मोर्चे पर सैन्य शक्ति और सैन्य रणनीति को धार देने का काम कर रही है।
ऑपरेशन सिंदूर महज एक बदला नहीं है, बल्कि इस एयर स्ट्राइक के पीछे दूरगामी दृश्य भी नजर आता है। भारत की ताकत को देखकर पाकिस्तान सकपका गया है, जबकि भारत की तरफ आंख उठाकर देखने वाले दूसरे देशों का नजरिया भी बदलता दिख रहा है।भारत ने इस एयर स्ट्राइक से दुनिया को दिखाया है कि उसके पास अब मजबूत रक्षा अनुसंधान की ताकत भी है। इस ताकत को केंद्र सरकार के नए नजरिये से और विस्तार मिलेगा।