देहरादून। उत्तराखंड में इस वर्ष ईद-उल-अजहा (बकरीद) शनिवार, 7 जून को पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इसको लेकर देहरादून सहित पूरे प्रदेश में बाजार गुलजार हो गए हैं। बकरों की मंडियां सज चुकी हैं, मस्जिदें और ईदगाहें रोशनी से जगमग हैं, और लोगों ने कुर्बानी की तैयारियों में जुटना शुरू कर दिया है।
तैयारियों का माहौल, बाजारों में रौनक
ईद-उल-अजहा से पहले देहरादून के हरिद्वार रोड, आइएसबीटी, निरंजनपुर और रायपुर जैसे क्षेत्रों में बकरों की अस्थायी मंडियां सजाई गई हैं, जहां सहारनपुर, बिजनौर, सहसपुर और नजीबाबाद से बकरे लाकर बेचे जा रहे हैं। वहीं, बाजारों में मिठाई, सेवइयां, छीर और कुर्बानी से जुड़ा सामान खरीदने के लिए भीड़ उमड़ रही है।
उलेमा की अपील: भाईचारे और सादगी से मनाएं पर्व
राज्य के प्रमुख मुस्लिम संगठनों और धार्मिक नेताओं ने त्योहार को भाईचारे, अमन और शांति के माहौल में मनाने की अपील की है।
जमीअत उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन और महासचिव मौलाना शराफत ने कहा:
“ईद को सादगी से मनाएं, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और समाज के गरीब, यतीम और जरूरतमंद लोगों को अपनी खुशी में जरूर शामिल करें। प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी से बचें और सोशल मीडिया पर कुर्बानी की तस्वीरें या वीडियो न डालें।”
शांति का संदेश, नई परंपराओं से बचने की सलाह
आल इंडिया मुस्लिम जमात के प्रदेश अध्यक्ष व नायब सुन्नी शहर काजी सैयद अशरफ हुसैन कादरी ने भी लोगों से भाईचारा बनाए रखने की अपील करते हुए कहा:
“ईद-उल-अजहा पैगंबर इब्राहिम और इस्माइल की कुर्बानी की याद है। यह त्याग और समर्पण का प्रतीक है। पर्व को बिना किसी दिखावे के, परंपरागत तरीके से और सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मनाएं।”
गौसिया मस्जिद के खतीब व इमाम मौलाना मोहम्मद आज़म ने कहा:
“नई परंपराओं से बचें और किसी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखें।”
ईद-उल-अजहा: धार्मिक महत्व
- यह त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है।
- रमजान के 70 दिन बाद मनाया जाने वाला यह पर्व त्याग, बलिदान और आत्मसमर्पण का प्रतीक है।
निष्कर्ष
देहरादून सहित उत्तराखंड भर में बकरीद को लेकर उत्साह चरम पर है, लेकिन साथ ही समाज के जिम्मेदार नागरिकों और धार्मिक नेताओं की अपीलों के चलते लोगों में संवेदनशीलता, संयम और शांति बनाए रखने का भाव भी देखने को मिल रहा है।
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