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देहरादून में हर साल 1 करोड़ की बिजली चोरी से चार्ज हो रहे ई-रिक्शा, चार्जिंग स्टेशन की अनदेखी कर बढ़ा रहे ट्रांसफार्मर का लोड

देहरादून | 11 जून 2025

देहरादून की सड़कों पर दौड़ते ई-रिक्शा अब सिर्फ ट्रैफिक जाम की नहीं, बल्कि बिजली चोरी और सिस्टम पर बढ़ते दबाव की बड़ी वजह बन गए हैं। करीब 5000 रजिस्टर्ड ई-रिक्शा, नियमों को ताक पर रखकर घरेलू कनेक्शन से चार्ज किए जा रहे हैं। इससे सरकार को हर साल लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है और ट्रांसफार्मर ट्रिपिंग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।


घरेलू बिजली से चार्जिंग: नियमों की खुली उड़ाई जा रही धज्जियां

ई-रिक्शा को चार्ज करने के लिए नियमानुसार व्यावसायिक कनेक्शन अनिवार्य है। लेकिन सच्चाई ये है कि अधिकतर चालक घरों की बिजली से ही ई-रिक्शा चार्ज कर रहे हैं। नतीजतन:

  • ट्रांसफार्मर पर अनावश्यक लोड

  • बिजली ट्रिपिंग की घटनाएं

  • सरकारी राजस्व में भारी नुकसान

हर दिन 27,000 रुपये की चपत, यानी सालाना नुकसान करीब एक करोड़ रुपये।


कैसे होता है नुकसान का गणित?

  • 1 ई-रिक्शा चार्जिंग में औसतन 9 यूनिट बिजली खर्च करता है

  • 5000 ई-रिक्शा × 9 यूनिट = 45,000 यूनिट प्रतिदिन

  • व्यावसायिक दर: ₹7.75 प्रति यूनिट

  • घरेलू दर: ₹7.15 प्रति यूनिट

  • प्रतिदिन की राजस्व हानि: ₹27,000

  • सालाना हानि का अनुमान: ₹98.5 लाख से अधिक


चार्जिंग स्टेशन बने, पर कोई वहां नहीं जाता

हाल ही में देहरादून में चार चार्जिंग स्टेशन शुरू किए गए हैं — गांधी पार्क, एस्लेहाल तिराहा, राजपुर और माजरा में। लेकिन यहां चार्जिंग दर ₹15 प्रति यूनिट होने के कारण ई-रिक्शा चालक इन स्टेशनों पर जाना ही नहीं चाहते।

वहीं, सरकार ने चार्जिंग स्टेशन के लिए अलग टैरिफ ₹7.65 प्रति यूनिट तय किया है, लेकिन जब अवैध घरेलू चार्जिंग से सिर्फ ₹7.15 देना पड़े तो नियम कौन माने?


कानूनी स्थिति: नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई तय

विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135(2) के तहत:

  • घरेलू बिजली का दुरुपयोग करने पर वाहन जब्त किया जा सकता है

  • कनेक्शन व्यावसायिक में तब्दील किया जा सकता है

  • जुर्माना और विद्युत चोरी का केस भी बन सकता है

“जांच की जाएगी, संयुक्त चेकिंग अभियान चलाया जाएगा।”
संदीप सैनी, आरटीओ (प्रशासन)


कमाई तो हो रही, लेकिन 60 पैसे प्रति यूनिट बचाने को चोरी!

एक चालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि—

“ई-रिक्शा दिन में औसतन ₹1200-₹1500 तक कमा लेता है। मालिक को ₹500 किराया जाता है। इसके बावजूद हम चार्जिंग स्टेशन नहीं जाते क्योंकि वहां दरें ज्यादा हैं।”

यानी, 60 पैसे प्रति यूनिट बचाने के लिए नियमों को नजरअंदाज किया जा रहा है।


ई-रिक्शा की क्षमता और लोड

  • फुल चार्जिंग पर 60-90 किमी तक चलता है ई-रिक्शा

  • चार्जिंग में लगता है करीब 8 घंटे का समय

  • लोड के मुताबिक बैटरी प्रदर्शन बदलता है


प्रतिबंध के बावजूद मुख्य सड़कों पर संचालन जारी

गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय ने ई-रिक्शा के मुख्य मार्गों पर संचालन पर प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके, ये ई-रिक्शा हरिद्वार रोड, राजपुर रोड, सहारनपुर रोड, गांधी रोड जैसे प्रमुख मार्गों पर बेरोकटोक दौड़ रहे हैं।


निगरानी में ढिलाई, यातायात व्यवस्था भी प्रभावित

न सिर्फ बिजली चोरी बल्कि ट्रैफिक अनुशासन का भी कोई पालन नहीं हो रहा। ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन, बिना ड्राइविंग ट्रेनिंग और बिना किसी नियंत्रण के सार्वजनिक स्थलों पर अव्यवस्थित पार्किंग और अवरोध का कारण बन रहे हैं।


ऊर्जा निगम की अपील

“घरेलू कनेक्शन पर अधिक बिजली उपभोग से ट्रिपिंग की समस्या बढ़ती है। हम उपभोक्ताओं को एसएमएस के माध्यम से जागरूक कर रहे हैं।”
राहुल जैन, अधीक्षण अभियंता (शहरी क्षेत्र), ऊर्जा निगम


क्या करना चाहिए अब?

  • सख्त निरीक्षण और जुर्माने की कार्रवाई

  • रजिस्ट्रेशन और प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाना

  • चार्जिंग स्टेशनों की दरें व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक बनाना

  •  पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त निगरानी

 

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