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देहरादून में सियासी शक्ति का प्रदर्शन” — उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने महानगर कार्यकारिणी का किया विस्तार, मोबाइल ऐप लॉन्च कर जनसरोकारों से जोड़ा आंदोलन

देहरादून, 12 जून 2025

उत्तराखंड की राजनीति में तेज़ी से उभरती आवाज़ बन चुके उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने एक बार फिर अपने सांगठनिक विस्तार और जनसरोकारों से जुड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

गुरुवार को देहरादून के एक होटल में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में मोर्चा ने देहरादून महानगर कार्यकारिणी का औपचारिक विस्तार कर दिया। इस आयोजन में युवाओं, महिलाओं, पूर्व सैनिकों और समाज के विभिन्न वर्गों की गौरवपूर्ण भागीदारी देखने को मिली। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष बॉबी पंवार ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी प्रमोद काला ने निभाई। बैठक का संयोजन सैनिक प्रकोष्ठ के महासचिव राजेंद्र भट्ट द्वारा किया गया।


मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च — अब जनता सीधे संगठन से जुड़ सकेगी

कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि रही मोर्चा की आधिकारिक मोबाइल एप्लिकेशन की लॉन्चिंग, जो खासतौर पर गांवों, पहाड़ी और दूरदराज़ इलाकों में रह रही जनता की शिकायतों और समस्याओं को सीधे संगठन तक पहुंचाने के लिए डिज़ाइन की गई है।

उपाध्यक्ष त्रिभुवन चौहान ने एप के महत्व पर जोर देते हुए कहा:

“सरकार की ‘मुख्यमंत्री हेल्पलाइन’ महज़ दिखावा बनकर रह गई है। जनता की शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं। अब लोग सीधे हमें अपनी समस्या बताएंगे — और हम सड़क से लेकर अदालत तक हर मंच पर उनकी आवाज़ बनेंगे।”


देहरादून महानगर में पांच विधानसभा क्षेत्र हुए शामिल

नई कार्यकारिणी में धर्मपुर, कैंट, रायपुर, मसूरी और राजपुर विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिससे देहरादून महानगर में संगठन की पकड़ और प्रभाव और भी मज़बूत हो गया है।

गौरतलब है कि मोर्चा इससे पहले पूर्वी देहरादून, पछवादून और ऋषिकेश क्षेत्रों में भी अपने सांगठनिक ढांचे का विस्तार कर चुका है। यह पूरे राज्य में उसकी तेज़ी से बढ़ती राजनीतिक स्वीकार्यता और ज़मीनी पकड़ का प्रतीक है।


जमीनी मुद्दों से जुड़े नेताओं ने दी आवाज़ — “अब बदलाव समय की ज़रूरत”

बैठक में मौजूद सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का संदेश एक था — बदलाव चाहिए और अब नहीं तो कब?

बॉबी पंवार ने अपने संबोधन में कहा:

“हम केवल सरकार की आलोचना करने नहीं आए, बल्कि हर गांव, हर विधानसभा में ऐसा संगठन खड़ा करना है जो जनता की आंख और आवाज़ बन सके। उत्तराखंड आज घोटालों का गढ़ बन चुका है। सरकार चुप है, अफसर बेलगाम हैं और जनता त्रस्त।”️ मोहित डिमरी, महासचिव:

“अब युवाओं और मातृशक्ति को पीछे नहीं रहना है। यह उनकी लड़ाई है और उन्हें ही इस बदलाव की अगुआई करनी होगी।”

त्रिभुवन चौहान, उपाध्यक्ष:

“कृषि मेला घोटाले का पर्दाफाश उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के दबाव का नतीजा है। आज हम सरकार की आंख की किरकिरी बन चुके हैं, क्योंकि हम सच्चाई से पीछे नहीं हटते।”

प्रकाश थपलियाल, वरिष्ठ नेता:

“अब हर युवा, हर नागरिक कहे — मैं भी बॉबी पंवार हूं! यह नाम नहीं, आंदोलन है। यह आवाज़ है उन लोगों की जो अन्याय के खिलाफ खड़े हैं।”

कनिष्क जोशी, युवा नेता:

“उत्तराखंड की संस्कृति, भाषा और पहचान खतरे में है। युवाओं को अब केवल रोज़गार नहीं, अपनी विरासत के लिए भी लड़ना होगा।”


पूर्व सैनिक भी शामिल — “अब लड़ाई भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ है”

सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कर्नल कैलाश देवरानी ने अपने संबोधन में कहा:

“सीमा पर तो हम लड़े ही हैं, अब मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ भी उतरेंगे। यह लड़ाई देश के भीतर के दुश्मनों से है।”

सैनिक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष राजेंद्र भट्ट ने भी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा:

“यह सरकार अब सिर्फ घोटालों की सरकार बन चुकी है। और जनता को हर दिन गुमराह किया जा रहा है।”


बैठक में उपस्थित प्रमुख कार्यकर्ता

बैठक में प्रकाश थपलियाल, शीशपाल पोखरियाल, निरंजन चौहान, आशुतोष कोठारी, गौतम राणा, राकेश बिष्ट, मनोज कोठियाल, अर्जुन राणा, आशीष नौटियाल, दीप्ति रावत बिष्ट, रेखा सिंह, एकता छेत्री, स्वाति गुरुंग, अनीता उपाध्याय, सैन सिंह रावत, पार्षद सोबत सिंह, चित्रपाल सजवान, ऑटो यूनियन अध्यक्ष महेंद्र सिंह, पंकज गैरोला, गोकुल सिंह पंवार सहित अनेक सक्रिय कार्यकर्ता मौजूद रहे।


निष्कर्ष

उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह केवल भाषणों का संगठन नहीं, एक ज़मीन से जुड़ा जनांदोलन है। मोबाइल ऐप से जनता को सीधे जोड़ना, सांगठनिक विस्तार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार मुखर रहना यह दिखाता है कि मोर्चा अब केवल राजनीतिक विकल्प नहीं, बल्कि सामाजिक जवाबदेही की धुरी बन चुका है।

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