देहरादून | जून 2025
उत्तराखंड सरकार ने धार्मिक आस्था और पवित्रता को ध्यान में रखते हुए राज्य के कई तीर्थ स्थलों को ‘मद्यनिषेध क्षेत्र’ घोषित करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शराब बिक्री और सेवन पर सख्त प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया है।
किन क्षेत्रों में लागू हुआ प्रतिबंध?
नए आदेश के तहत अब निम्न स्थानों पर शराब की बिक्री, भंडारण और सेवन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा:
- चारधाम (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री)
- पूर्णागिरी धाम
- रीठा साहिब
- हेमकुंड साहिब
- नानकमत्ता
- हरिद्वार नगर निगम सीमा और पिरान कलियर से 1.8 किमी की परिधि तक
- ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र और वीरभद्र मंदिर से 2 किमी तक का क्षेत्र
आदेश में क्या कहा गया है?
प्रमुख सचिव एल.एन. फैनई द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इन क्षेत्रों में न केवल शराब की दुकानें नहीं खोली जाएंगी, बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीना भी कानूनन अपराध माना जाएगा।
हरिद्वार में नगर निगम के पूर्ववर्ती निकाय सीमा और पिरान कलियर दरगाह के आसपास 1.8 किलोमीटर तक का क्षेत्र अब मद्यनिषेध घोषित किया गया है।
वहीं, ऋषिकेश में संपूर्ण नगर निगम क्षेत्र और वीरभद्र मंदिर से 2 किलोमीटर की परिधि तक अब शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो गया है।
धार्मिक भावनाओं का सम्मान
इस फैसले के पीछे सरकार की मंशा स्पष्ट है — धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखना और तीर्थ यात्रियों को शुद्ध वातावरण उपलब्ध कराना।
राज्य सरकार का कहना है कि चारधाम यात्रा में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं, ऐसे में इन स्थलों की पवित्रता को बनाए रखना सरकार की सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।
पहले और अब में क्या फर्क है?
- पहले: केवल नगरीय क्षेत्रों को मद्यनिषेध क्षेत्र माना गया था।
- अब: सरकार ने स्पष्ट भौगोलिक परिधि तय कर प्रतिबंधित क्षेत्रों को ज्यादा व्यापक और स्पष्ट बना दिया है।
उल्लंघन पर क्या कार्रवाई होगी?
मद्यनिषेध क्षेत्रों में शराब पीते या बेचते पाए जाने पर संबंधित व्यक्तियों पर विधान सम्मत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि इन क्षेत्रों में नियमित निगरानी रखी जाए और उल्लंघन की स्थिति में तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए।
सामाजिक संगठन और तीर्थ ट्रस्टों की सराहना
राज्य सरकार के इस निर्णय की धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने सराहना की है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करता है और यात्रा अनुभव को अधिक पवित्र बनाता है।
अंतिम संदेश
उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य की आध्यात्मिक पहचान को और अधिक मजबूत करता है। अब यह जनता और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी होगी कि इस निर्णय को पूरी ईमानदारी से लागू किया जाए ताकि उत्तराखंड एक आदर्श धार्मिक और सांस्कृतिक राज्य के रूप में देशभर में उदाहरण पेश कर सके।