उत्तराखंड | 15 जून 2025
Kedarnath Helicopter Crash Update:
गौरीकुंड के पास रविवार सुबह हुए दिल दहला देने वाले हेलिकॉप्टर हादसे ने एक बार फिर उत्तराखंड में हवाई सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सात लोगों की मौत के बाद अब सरकार एक्शन मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे को गंभीरता से लेते हुए हेलिकॉप्टर संचालन के लिए सख्त स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) बनाने के निर्देश जारी किए हैं।
हेली सेवाओं पर मुख्यमंत्री धामी का एक्शन प्लान
मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि:
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तकनीकी विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए।
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समिति हेली सेवाओं के तकनीकी, सुरक्षा और मौसमीय पहलुओं की गहराई से समीक्षा करेगी।
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नई SOP में निम्न बिंदु अनिवार्य होंगे:
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हेलिकॉप्टर की पूर्ण तकनीकी जांच।
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उड़ान से पहले मौसम की सटीक जानकारी अनिवार्य रूप से ली जाए।
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उड़ानों का संचालन केवल उपयुक्त मौसम और दृश्यता की स्थिति में ही हो।
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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह SOP ऐसी होनी चाहिए जो विश्वसनीय, पारदर्शी और यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाली हो।
हादसे की जांच के लिए होगी दोहरी पड़ताल
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी स्पष्ट किया है कि:
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पहले से गठित उच्च स्तरीय समिति को वर्तमान दुर्घटना की भी विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
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समिति हादसे के हर पहलू—तकनीकी, मानवीय और प्रशासनिक—की गहराई से जांच करेगी।
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यदि कोई संस्था, ऑपरेटर या व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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जांच रिपोर्ट में भविष्य की दुर्घटनाओं से बचने के लिए सिफारिशें भी शामिल होंगी।
“हेली सेवाएं जरूरी, लेकिन सुरक्षा सर्वोपरि” – मुख्यमंत्री धामी
सीएम धामी ने कहा:
“उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में हेलिकॉप्टर सेवाएं तीर्थाटन, आपदा प्रबंधन और इमरजेंसी रिस्पॉन्स के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। लेकिन इन सेवाओं में सुरक्षा को कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यात्रियों का जीवन सर्वोपरि है।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार, हेली सेवाओं को लेकर आधुनिक, सुरक्षित और ट्रैकिंग-आधारित प्रणाली विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है।
क्या हो सकता है आगे?
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हेलिकॉप्टर ऑपरेटर कंपनियों की लाइसेंसिंग और ऑडिट प्रक्रिया हो सकती है कठोर।
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यात्रियों की सुरक्षा के लिए फ्लाइट रूट और वैदर बेस्ड कंट्रोल को लागू किया जा सकता है।
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फ्लाइट डेटा रिकॉर्डिंग और निगरानी प्रणाली पर भी काम शुरू हो सकता है।
पृष्ठभूमि:
इससे पहले भी उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। लेकिन इस बार 23 महीने की बच्ची से लेकर मंदिर समिति के कर्मचारी तक की मौत ने शासन को चेताया है कि अब सिर्फ श्रद्धा और सेवा के भरोसे काम नहीं चलेगा—तकनीक, सतर्कता और जवाबदेही भी चाहिए।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री की इस त्वरित कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि अब उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर सेवाओं को लेकर नए नियम और जवाबदेही की मजबूत चादर बिछाई जाएगी। सरकार अब इस हादसे को एक चेतावनी की तरह लेकर पूर्ण सुधार की दिशा में आगे बढ़ रही है।