देहरादून | 16 जून 2025
अब उत्तराखंड के शहरी इलाकों में साफ-सफाई को लेकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कूड़ा एकत्र करने वाले वाहनों की रियल टाइम जीपीएस ट्रैकिंग की योजना को हरी झंडी दे दी है। इसका सीधा फायदा यह होगा कि आम लोग एक क्लिक पर यह जान सकेंगे कि उनके मोहल्ले में कूड़ा गाड़ी आई या नहीं।
राज्यभर में लागू होगा जीपीएस सिस्टम, जिम्मेदारी से भाग नहीं सकेंगे कर्मचारी
शहरी विकास सचिव नितेश झा ने इस योजना को लेकर सभी नगर निकायों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि उनके अधीन काम कर रहे कूड़ा कलेक्शन वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रेसिंग सिस्टम (VLTS) अनिवार्य रूप से लगाया जाए। इसका उद्देश्य साफ है – कूड़ा गाड़ियों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखना और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करना।
अब तक देहरादून, हल्द्वानी, काशीपुर जैसे कुछ नगर निगम अपने स्तर पर सीमित रूप से जीपीएस ट्रैकिंग करते थे, लेकिन वह सिस्टम पूरी तरह प्रभावी नहीं था। अब राज्य स्तरीय सॉफ़्टवेयर की मदद से सभी नगर निकायों को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा।
नगर निकाय से लेकर निदेशालय तक होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग
शहरी विकास विभाग एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) की तकनीकी मदद से एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है, जो राज्य स्तर से लेकर हर नगर निकाय तक कूड़ा गाड़ियों की निगरानी संभव बनाएगा।
हर वाहन की रूट हिस्ट्री, टाइमिंग, वार्ड कवर स्थिति और रुकावट जैसी जानकारी अब सिस्टम में दर्ज होगी। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कूड़ा गाड़ी वास्तव में मोहल्ले तक पहुंची या नहीं।
लोगों को मिलेगी सीधी सूचना, बनेगा ऐप या पोर्टल
सरकार की योजना है कि आम जनता को भी एक पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से सीधा एक्सेस मिले, जिससे वे देख सकें कि उनके इलाके में कूड़ा उठाने वाली गाड़ी कब आई, कहां रुकी और अगला स्टॉप क्या है। इससे पारदर्शिता तो बढ़ेगी ही, साथ ही जन सहभागिता भी सुनिश्चित होगी।
कहां-कहां हो चुका है सिस्टम का ट्रायल?
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हल्द्वानी नगर निगम: 80 कूड़ा गाड़ियों में पहले ही जीपीएस डिवाइस लग चुके हैं। अधिकारी निगम कार्यालय से ही इनकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
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काशीपुर नगर निगम: यहाँ भी ट्रैकिंग सिस्टम लागू है और ट्रैकिंग डेटा रोजाना एनालाइज किया जा रहा है।
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देहरादून नगर निगम: कुछ गाड़ियों में जीपीएस डिवाइस लगाए गए हैं, लेकिन अब सभी को सिस्टम में लाया जाएगा।
क्यों है यह कदम जरूरी?
अक्सर शिकायतें आती थीं कि कूड़ा गाड़ियां वार्डों में नियमित नहीं पहुंचतीं, जिससे गंदगी और संक्रमण फैलता है। अब जब हर गाड़ी ट्रैक होगी और उसके रूट का रिकॉर्ड डिजिटल होगा, तो यह तय हो जाएगा कि लापरवाही कहां और किस स्तर पर हो रही है।
इससे न केवल स्वच्छ भारत मिशन को मजबूती मिलेगी, बल्कि नगर निकायों की कार्यशैली में भी क्रांतिकारी सुधार होगा।
“हमारा मकसद सिर्फ कूड़ा उठाना नहीं, बल्कि जनता को भरोसेमंद और ट्रैक करने योग्य व्यवस्था देना है।”
— नितेश झा, सचिव, शहरी विकास विभाग