हरिद्वार में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा, शासन ने रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी; कई संस्थानों में छात्र ही नहीं थे मौजूद
देहरादून | 17 जून 2025
उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। राज्य सरकार को प्राप्त जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश के 92 जांचे गए शिक्षण संस्थानों में से 17 संस्थानों ने लगभग 91 लाख रुपये की छात्रवृत्ति गलत तरीके से हड़प ली। अब इन संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी चल रही है।
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के डेटा ने खोला राज़
इस पूरे घोटाले की नींव उस समय पड़ी जब केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) के आंकड़ों का विश्लेषण किया और कुछ संस्थानों को संदिग्ध पाया। इसके बाद उत्तराखंड शासन ने जांच के आदेश दिए और राज्य के 92 संस्थानों की गहराई से जांच शुरू कराई गई।
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जांच समिति की अध्यक्षता एसडीएम स्तर के अधिकारियों ने की।
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हर जिले में अलग-अलग टीमें बनाकर फील्ड वेरीफिकेशन और दस्तावेजों का परीक्षण किया गया।
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कई संस्थानों में छात्रों की उपस्थिति और रजिस्ट्रेशन के साक्ष्य ही नहीं मिले।
चौंकाने वाले तथ्य:
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17 संस्थानों में 1058 छात्रों को अनुचित तरीके से छात्रवृत्ति दी गई।
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कुल फर्जीवाड़े की राशि लगभग 91 लाख रुपये आंकी गई है।
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हरिद्वार जिले में सबसे अधिक 7 संस्थान इस घोटाले में संलिप्त पाए गए।
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ऊधमसिंह नगर के 6, नैनीताल और रुद्रप्रयाग के 2-2 संस्थान शामिल हैं।
कुछ संस्थानों में ‘फर्जी छात्र’, कहीं छात्रों की उपस्थिति ही नहीं
जांच में यह भी सामने आया कि कुछ शिक्षण संस्थानों ने ऐसे छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति ली, जो वास्तव में मौजूद ही नहीं थे। कुछ संस्थानों ने छात्रों के बैंक खाते खुद खोले, और फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।
शासन की रिपोर्ट के अनुसार,
“कई जगहों पर छात्रों की उपस्थिति, नामांकन और दस्तावेजों में भारी गड़बड़ियां पाई गईं। कई संस्थान सिर्फ कागजों पर ही चल रहे हैं।”
अधिकारी का बयान
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव, धीराज गर्ब्याल ने पुष्टि करते हुए कहा:
“हमें जांच रिपोर्ट मिल गई है। इसे केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जा रहा है। प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।”
आगे की कार्यवाही:
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दोषी संस्थानों पर एफआईआर दर्ज होगी।
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वसूली और रिकवरी की प्रक्रिया भी की जाएगी।
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भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े से बचने के लिए NSP पर वेरिफिकेशन सिस्टम को मजबूत किया जाएगा।
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ऑनलाइन और फिजिकल वेरिफिकेशन को अनिवार्य बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना का यह घोटाला सिर्फ आर्थिक भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि वंचित वर्गों के साथ धोखा भी है। जिन छात्रों को वास्तव में इस मदद की जरूरत थी, उनके हक पर कुछ संस्थानों ने अनैतिक तरीके से डाका डाला है। अब जब रिपोर्ट सामने आ चुकी है, तो देखना होगा कि सरकार इस पर कितनी सख्त और समयबद्ध कार्रवाई करती है।