स्थान: पोखरी, चमोली (उत्तराखंड) | तारीख: 18 जून 2025
उत्तराखंड के चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक स्थित पोगठा गांव में एक महिला के साथ सामाजिक बहिष्कार जैसा अमानवीय व्यवहार किया गया। यह बहिष्कार महिला के बेटे पर हत्या का आरोप लगने के बाद किया गया। पीड़िता कमला देवी ने जब यह मामला एसडीएम पोखरी अबरार अहमद के संज्ञान में लाया, तो प्रशासन ने तुरंत ग्रामवासियों को फटकार लगाते हुए बहिष्कार खत्म करने के निर्देश दिए।
मामले की पृष्ठभूमि: बेटे पर हत्या का आरोप, परिवार पर सामाजिक सजा
पीड़िता कमला देवी पत्नी हरीश लाल, निवासी पोगठा गांव, ने बताया कि
-
11 नवंबर 2024 को उत्तम लाल पुत्र जसपाल की कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
-
इस मामले में कमला देवी के बेटे हिमांशु पर हत्या का आरोप है और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।
-
मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
गांव में बहिष्कार: न सामान, न सफर, न सार्वजनिक स्थल
घटना के बाद गांव में एक स्थानीय बैठक कर महिला और उसके परिवार के सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव पास किया गया, जिसे ग्राम पंचायत को भेज दिया गया।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया:
-
दुकानों से सामान नहीं दिया जा रहा
-
सार्वजनिक वाहनों में बैठने नहीं दिया जाता
-
जंगल तक नहीं जाने दिया जा रहा
-
गांव में सार्वजनिक स्थलों से भी दूर रखा गया है
कमला देवी की शिकायत पर हुई प्रशासनिक कार्रवाई
कमला देवी ने 5 जून 2025 को एसडीएम पोखरी को एक प्रार्थनापत्र सौंपा, जिसमें पूरे घटनाक्रम का उल्लेख किया गया।
एसडीएम अबरार अहमद ने तत्काल मामले को गंभीरता से लेते हुए मंगलवार, 18 जून को तहसील सभागार में बैठक बुलाई।
एसडीएम अबरार अहमद की सख्त चेतावनी
“हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, जहां हर नागरिक को संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
आरोपी अभी न्यायिक हिरासत में है, उसका फैसला अदालत करेगी।
कोई भी व्यक्ति किसी अन्य के जीवन जीने के अधिकार को नहीं छीन सकता।”
– एसडीएम अबरार अहमद
एसडीएम ने ग्रामीणों को स्पष्ट निर्देश दिए कि कमला देवी के बहिष्कार को तुरंत खत्म करें और उन्हें गांव में सम्मान और सभी नागरिक सुविधाएं प्रदान करें।
गांव के लोगों ने दिखाया सकारात्मक रुख
एसडीएम की चेतावनी और बातचीत के बाद ग्रामीणों ने बहिष्कार वापस लेने का आश्वासन दिया। बैठक में कई प्रमुख लोग मौजूद रहे:
-
पोखरी व्यापार मंडल अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह राणा
-
टैक्सी यूनियन अध्यक्ष विजयपाल सिंह रावत
-
एसआई दलवीर सिंह
-
पोगठा की पूर्व ग्राम प्रधान पुष्पा देवी
-
अधिवक्ता देवेंद्र बर्त्वाल, ग्रामवासी रमेश सिंह, त्रिभुवन सिंह, राजमोहन नेगी
-
पीड़िता कमला देवी और उनकी पुत्री हेमा भी बैठक में शामिल रहीं।
तहसीलदार की अध्यक्षता में होगी अगली बैठक
निर्णय लिया गया कि जल्द ही तहसीलदार की अध्यक्षता में गांव में एक विशेष बैठक की जाएगी, जिसमें पीड़ित परिवार और सभी ग्रामीणों की उपस्थिति में औपचारिक रूप से बहिष्कार खत्म किया जाएगा।
निष्कर्ष: संविधान से बड़ा कोई नहीं
इस घटना ने यह सवाल उठाया कि क्या सामाजिक दंड देना किसी भी नागरिक या पंचायत को उचित है?
उत्तर स्पष्ट है — नहीं।
संविधान के अनुसार अपराधी सिद्ध होने तक हर व्यक्ति निर्दोष माना जाता है, और उसके परिजनों को सजा देने का कोई कानूनी या नैतिक अधिकार किसी को नहीं है।
इस संवेदनशील मामले में प्रशासन की तत्परता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की यह एक अहम मिसाल है