देहरादून, 24 जून 2025
उत्तराखंड के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व, कार्बेट और राजाजी, एक बार फिर पर्यटकों को हाथी की पीठ से जंगल के राजा यानी बाघ और अन्य वन्यजीवों के दीदार का अवसर देने की तैयारी में जुटे हैं। वन विभाग ने हाथी सफारी को दोबारा शुरू करने की कवायद तेज कर दी है। यदि कोई तकनीकी अड़चन नहीं आई, तो आगामी पर्यटन सत्र से यह ऐतिहासिक और रोमांचकारी सफर फिर से शुरू हो जाएगा।
हाथी सफारी को फिर से देने की तैयारी
वन विभाग द्वारा हाल ही में राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में हाथी सफारी को पुनः शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया था। वर्ष 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाथी सफारी संचालन पर रोक लगा दी थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त हुआ। अब विभाग कोशिश कर रहा है कि राज्य के भीतर ही अनुमति प्रक्रिया पूरी कर ली जाए ताकि अगले टूरिस्ट सीजन से सफारी फिर शुरू हो सके।
इन रेंजों में शुरू हो सकती है सफारी
- कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR):
- ढिकाला रेंज
- बिजरानी रेंज
- राजाजी टाइगर रिजर्व (RTR):
- चीला रेंज
वन विभाग का कहना है कि इन तीन रेंजों में सबसे पहले हाथी सफारी की शुरुआत की जा सकती है। इस संबंध में विधिवत आदेश जल्द जारी किए जा सकते हैं।
राजकीय हाथियों से होगी सफारी, संख्या सीमित
- कार्बेट में उपलब्ध हाथी: 15
- राजाजी में उपलब्ध हाथी: 7
इन हाथियों का वर्तमान में गश्त और रेस्क्यू ऑपरेशन में उपयोग होता है। सफारी के लिए सभी हाथियों का उपयोग नहीं किया जाएगा, बल्कि चयनित और प्रशिक्षित हाथियों को ही पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इससे वन्यजीवों की सुरक्षा और हाथियों की भलाई दोनों सुनिश्चित की जा सकेगी।
क्या कहते हैं अधिकारी?
प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन मिश्रा ने बताया,
“टाइगर रिजर्व का मैनेजमेंट प्लान हाथी सफारी को अनुमति देता है। यदि सभी प्रक्रियाएं सही समय पर पूरी होती हैं, तो अगले पर्यटन सत्र से हाथी सफारी शुरू हो सकती है। हमारा प्रयास है कि पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा मिले।”
यात्रा होगी सीमित, सुरक्षा रहेगी प्राथमिकता
- केवल तय जोन और समय में होगी सफारी
- गाइड और महावत की निगरानी में चलेगी यात्रा
- ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम होगा विकसित
- शुल्क निर्धारण होगा नियमानुसार
पुराना आकर्षण लौटेगा, नया अनुभव बनेगा
कभी इन टाइगर रिजर्वों की पहचान रही हाथी सफारी, अब एक बार फिर लौटने को तैयार है। इससे न सिर्फ पर्यटकों को रोमांचक अनुभव मिलेगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन और रोजगार को भी नई गति मिलेगी।
नोट: हाथी सफारी को लेकर पर्यावरणविदों की राय और वन्यजीव संरक्षण की शर्तों का भी ध्यान रखा जा रहा है। हर निर्णय संतुलन और सतत विकास को केंद्र में रखकर लिया जा रहा है।
“अब जंगल में गूंजेगी गजराज की मस्त चाल… और मिल सकेगा फिर से राजा बाघ का दीदार!”