उत्तरकाशी, 24 जून 2025
यमुनोत्री धाम की तीर्थयात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के लिए सोमवार का दिन भयानक साबित हुआ। नौकैंची के पास हुए भीषण भूस्खलन में एक ही परिवार के छह लोग मलबे में दब गए। हादसे में अब तक दो लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दो अन्य श्रद्धालुओं की तलाश जारी है। मंगलवार शाम मौसम खराब होने के चलते रेस्क्यू अभियान रोक दिया गया है, जो बुधवार सुबह फिर से शुरू किया जाएगा।
कैसे हुआ हादसा?
सोमवार को जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भैरव मंदिर के समीप नौकैंची क्षेत्र में अचानक पहाड़ी से भारी मलबा गिर पड़ा। उस समय मार्ग पर चल रहे श्रद्धालु इसकी चपेट में आ गए।
हादसे में छह लोग मलबे में दब गए, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे।
कौन थे मृतक?
रेस्क्यू ऑपरेशन में एक व्यक्ति और एक बच्ची के शव बरामद हुए हैं।
इनकी पहचान हरिशंकर (47 वर्ष) और उनकी बेटी ख्याति (9 वर्ष) के रूप में हुई है, जो जौनपुर, उत्तर प्रदेश के निवासी थे।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने पुष्टि की कि मृतकों के पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं।
घायलों और लापता लोगों की स्थिति
- घायल:
- रशिक (मुंबई निवासी) को मलबे से सुरक्षित निकालकर पीएचसी जानकीचट्टी में भर्ती कराया गया है।
- लापता:
- भाविका शर्मा (11), पुत्री जॉय शर्मा, निवासी कृष्णा विहार, नई दिल्ली
- कमलेश जेठवा (35), निवासी मुंबई
इन दोनों की तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राजस्व, पुलिस और वन विभाग की टीमें लगातार मलबे में सर्च अभियान चला रही थीं, जिसे मौसम खराब होने के कारण मंगलवार शाम रोकना पड़ा।
ड्रोन से होगा पैदल मार्ग का सर्वे
डीएम प्रशांत आर्य, एसपी सरिता डोबाल, और यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू की समीक्षा की।
डीएम ने भूवैज्ञानिकों, आपदा प्रबंधन और तकनीकी टीमों को ड्रोन व स्थलीय निरीक्षण के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे पैदल मार्ग की भौगोलिक स्थिति की रिपोर्ट जल्द सौंपी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
क्या बोले अधिकारी?
डीएम प्रशांत आर्य ने कहा:
“हम लापता लोगों को जल्द से जल्द खोजने के प्रयास में हैं। मौसम चुनौती जरूर है, लेकिन हमारी टीमें लगातार काम कर रही हैं। सुरक्षा और पुनरावृत्ति की रोकथाम के लिए ट्रैक का निरीक्षण आवश्यक है।”
सावधानी जरूरी
भूस्खलन की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे मौसम अपडेट लेते रहें और पहाड़ी मार्गों पर चलते समय विशेष सतर्कता बरतें।
“यमुनोत्री का पावन मार्ग भक्ति का रास्ता है, लेकिन प्रकृति की चेतावनी को नजरअंदाज न करें। सावधानी ही सुरक्षा है।”