भूमि अधिग्रहण में हुए 162.5 करोड़ के घोटाले की जांच तेज, PCS अधिकारी सहित कई के खिलाफ सख्त कदम
देहरादून/काशीपुर/रुद्रपुर, 26 जून 2025
उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच-74 घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर कड़ा शिकंजा कसते हुए देहरादून, काशीपुर और रुद्रपुर में कई अफसरों के घर और ठिकानों पर छापेमारी की है।
यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई, जिसमें ईडी ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कुल 7 स्थानों पर छापे मारे।
किन पर गिरी गाज?
ईडी की जांच का दायरा उन अधिकारियों पर केंद्रित रहा, जो भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में प्राधिकृत अधिकारी (Competent Authority) के तौर पर कार्यरत थे। इनमें एक वरिष्ठ PCS अधिकारी शामिल हैं, जो वर्तमान में डोईवाला चीनी मिल में कार्यकारी निदेशक के पद पर तैनात हैं।
कैसे हुआ घोटाला?
ईडी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण के दौरान इन अधिकारियों ने पिछली तारीखों (Backdated Orders) में आदेश पारित कर कृषि भूमि को गैर-कृषि घोषित कर दिया, जिससे सरकार को ₹162.5 करोड़ का नुकसान हुआ।
इस हेराफेरी के जरिए मुआवजा राशि को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर जारी किया गया, जो असल मूल्य से कई गुना अधिक थी।
NH-74 और NH-125 प्रोजेक्ट के नाम पर हुआ खेल
यह घोटाला राष्ट्रीय राजमार्ग-74 और 125 के चौड़ीकरण के नाम पर किया गया। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में PCS अफसर, राजस्व कर्मी, किसान और बिचौलिए मिले हुए थे, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन कर भारी सरकारी राशि का दुरुपयोग किया।
एफआईआर से चार्जशीट तक
- इस मामले में 2017 में उत्तराखंड पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी।
- उसके बाद गहन जांच और पूछताछ के आधार पर ईडी ने 2020 में घोटाले की पुष्टि करते हुए विस्तृत बयान जारी किया था।
- 2024 में इस घोटाले से जुड़े अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया।
ईडी की कार्रवाई से हड़कंप
ताजा कार्रवाई से सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि छापेमारी में महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत बरामद हुए हैं, जिनसे घोटाले की परतें और खुल सकती हैं।
क्या है अगला कदम?
- छापेमारी के बाद अब मनी ट्रेल की जांच होगी
- दोषियों के बैंक खातों और संपत्तियों की फोरेंसिक जांच की जाएगी
- जल्द ही नई गिरफ्तारी भी हो सकती है
निष्कर्ष
NH-74 घोटाला उत्तराखंड के अब तक के सबसे बड़े भूमि अधिग्रहण घोटालों में से एक माना जा रहा है। ईडी की कार्रवाई से यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकारी तंत्र में बैठे कुछ लोगों ने पद का दुरुपयोग कर जनधन की खुलकर लूट की।