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उत्तराखंड में सोलर प्रोजेक्ट्स को बड़ा झटका: 12 कंपनियों की याचिका खारिज, प्रोजेक्ट आवंटन रद्द बरकरार

15.5 मेगावाट की परियोजनाएं हुई रद्द, राज्य के 2500 मेगावाट लक्ष्य को लगा आंशिक झटका

देहरादून, जुलाई 2025 – उत्तराखंड में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से जुड़ी 12 कंपनियों को झटका लगा है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) ने इन कंपनियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है, जिसके चलते इनके सोलर प्रोजेक्ट आवंटन अब भी रद्द ही रहेंगे। ये परियोजनाएं सौर ऊर्जा नीति 2013 के तहत 2019-20 में अलॉट हुई थीं, लेकिन समय पर काम शुरू नहीं किया गया।


क्या है मामला?

  • 12 कंपनियों को 2019-20 में सोलर प्रोजेक्ट्स आवंटित किए गए
  • कोविड-19 के कारण डेडलाइन में दी गई थी दो बार छूट
    • पहली बार: 31 मार्च 2024
    • दूसरी बार: 31 दिसंबर 2024
  • उरेडा समय सीमा फिर बढ़ाने के पक्ष में नहीं था और नियामक आयोग में मामला भेजा गया
  • 27 मार्च 2025 को आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर सभी 12 प्रोजेक्ट्स का आवंटन रद्द कर दिया था

पुनर्विचार याचिका में क्या हुआ?

  • सभी कंपनियों ने आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की
  • आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य अनुराग शर्मा की पीठ ने सुनवाई की
  • पाया गया कि कंपनियां कोई नया या ठोस तथ्य पेश नहीं कर सकीं
  • फॉरेंसिक रिपोर्ट जैसी प्रगति रिपोर्ट में सामने आईं खामियां:
    • दो कंपनियों ने एक ही खाते का लीज डॉक्यूमेंट दिया
    • दो कंपनियों ने एक ही जमीन के दो छोर से गूगल मैपिंग करके अलग-अलग लोकेशन दिखाई

पीठ ने टिप्पणी की कि “इनमें से अधिकांश कंपनियों के पास पूरी जमीन उपलब्ध नहीं है, और ऋण प्रक्रिया भी अधूरी है।”


किन कंपनियों की परियोजनाएं हुईं रद्द?

  • पीपीएम सोलर एनर्जी
  • एआर सन टेक
  • पशुपति सोलर एनर्जी
  • दून वैली सोलर पावर
  • मदन सिंह जीना
  • दारदौर टेक्नोलॉजी
  • एसआरए सोलर एनर्जी
  • प्रिस्की टेक्नोलॉजी
  • हर्षित सोलर एनर्जी
  • जीसीएस सोलर एनर्जी
  • देवेंद्र एंड संस एनर्जी
  • डेलीहंट एनर्जी

अब क्या होगा?

  • करीब 15.5 मेगावाट क्षमता की इन परियोजनाओं के रद्द होने से राज्य सरकार के 2500 मेगावाट के लक्ष्य को आंशिक झटका लगा है
  • हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, विलंब से बनी परियोजनाएं राज्य को घाटे में डालतीं, क्योंकि UPCL को पुरानी दरों पर महंगी बिजली खरीदनी पड़ती
  • अब नई सौर ऊर्जा नीति 2023 के तहत पारदर्शी तरीके से पुनः आवंटन की तैयारी हो सकती है

विश्लेषण:
यह निर्णय राज्य की ऊर्जा नीति में नियमों की सख्ती और पारदर्शिता को दर्शाता है। देर से शुरू होने वाले प्रोजेक्ट्स से न केवल ऊर्जा उत्पादन में देरी होती है, बल्कि राज्य के आर्थिक हितों को भी नुकसान होता है।


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