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धराली आपदा: हरियाणा के राम तीरथ की आंखों देखी – “जो देखा, कभी नहीं भूल पाएंगे” | कई अभी भी लापता, उम्मीदों के सहारे टिकी हैं निगाहें

उत्तरकाशी/धराली, 7 अगस्त 2025

उत्तराखंड के धराली और हर्षिल घाटी में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों को भी झकझोर कर रख दिया है। जहां बचाव अभियान तेजी से चल रहा है, वहीं कई परिवार अब भी अपनों के जिंदा होने की उम्मीद में टकटकी लगाए खड़े हैं।


छुट्टियों की जगह तबाही – राम तीरथ का अनुभव

हरियाणा के सोनीपत जिले के भटवाड़ी गांव से आए राम तीरथ और उनकी पत्नी बबीता धराली में घूमने आए थे, लेकिन जो हुआ उसने उनकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी।

“मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे अचानक चीख-पुकार मची और एक मिनट के भीतर सबकुछ मलबे में तब्दील हो गया।” – राम तीरथ

जो धराली उन्हें कुछ घंटे पहले तक एक खूबसूरत पर्यटक स्थल लग रहा था, वही पल भर में भयावह मंजर में बदल गया।

  • वे दोनों मंडी क्षेत्र से थोड़ी दूरी पर थे, जिससे उनकी जान बच पाई
  • उन्होंने अपनी आंखों से देखा एक 10 साल का बच्चा पेड़ पर चढ़ा हुआ था, जो मलबे में बह गया
  • बाजार के अधिकतर लोग मलबे में दब गए, 3-4 लोग ही बच पाए
  • मोबाइल नेटवर्क और संपर्क पूरी तरह कट चुका था
  • रात भर सड़क किनारे गुजारनी पड़ी, फिर वन विभाग का एक कमरा मिला जहां थोड़ी राहत मिली

रेस्क्यू ऑपरेशन के 24 घंटे बाद राहत

बुधवार सुबह सेना के जवानों ने उन्हें और अन्य लोगों को ढूंढ निकाला। राम तीरथ और उनकी पत्नी को हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू कर भटवाड़ी लाया गया।

अब दोनों फिलहाल भटवाड़ी में ठहरे हुए हैं और गुरुवार सुबह अपने गांव के लिए रवाना हो जाएंगे।


संपर्क टूटने से लोगों में चिंता, लेकिन जिंदा लौटने की उम्मीद कायम

धराली और हर्षिल क्षेत्र से अब भी कई लोग लापता हैं। हर्षिल के झाला निवासी सुधीर रौतेला का कहना है:

“आपदा के बाद से न तो फोन नेटवर्क है, न ही सड़क संपर्क। कई लोग परिवारजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन हमें उम्मीद है कि हमारे लोग जिंदा होंगे।”

  • सड़क मार्ग टूट चुके हैं
  • सेना की तैनात यूनिट, NDRF, SDRF और स्थानीय प्रशासन युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं
  • अनुमान है कि कई लोग मलबे में दबे हो सकते हैं

धराली: रेस्क्यू के लिए मशीनें और मानव प्रयास जारी

उत्तरकाशी प्रशासन ने दिल्ली से लेकर स्थानीय स्तर तक पूरी आपदा राहत मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। सेना, वायुसेना, NDRF, ITBP और पुलिस बल की संयुक्त टीमें अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में राहत कार्य कर रही हैं।

  • हेलिकॉप्टरों की मदद से फंसे हुए पर्यटकों को निकाला जा रहा है
  • भारी मशीनों से मलबा हटाने का कार्य दिन-रात चल रहा है
  • स्थानीय गांवों में राहत शिविर बनाए गए हैं

आपदा का कारण क्या था?

हालांकि अभी भी सेटेलाइट इमेज और विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतज़ार है, वैज्ञानिकों का मानना है कि इस आपदा की वजह बादल फटना नहीं, बल्कि ग्लेशियर टूटने या भूस्खलन से बनी अस्थाई झील का फटना हो सकता है।

  • यह मलबा ऊपरी हिमालयी क्षेत्र से अत्यधिक वेग से नीचे आया, जिसने धराली के बाजार को कुछ ही मिनटों में समतल कर दिया।

मंजर जिसने सबको दहला दिया

जो लोग इस तबाही से बचे, उनकी आंखों में डर, राहत और अनगिनत सवाल हैं। राम तीरथ कहते हैं:

“हम धराली घूमने आए थे, लेकिन जो देखा… अब ज़िंदगी भर नहीं भूल सकते। जिनके साथ बातें कर रहे थे, वो अब इस दुनिया में नहीं हैं।”


फिलहाल क्या स्थिति है?

  • रेस्क्यू जारी है, लेकिन मौसम और इलाके की चुनौती बनी हुई है
  • लापता लोगों की तलाश में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं
  • स्थानीय प्रशासन और सेना सामूहिक राहत कार्य चला रहे हैं
  • स्थानीय निवासी और पर्यटक, दोनों ही अब भी भय और उम्मीद के बीच फंसे हैं

धराली और हर्षिल की यह आपदा हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि प्रकृति के आगे इंसान कितना असहाय हो सकता है। लेकिन साथ ही यह भी कि संकट के समय इंसान की हिम्मत, साहस और एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत होती है।

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