चमोली, 7 अगस्त 2025
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र चमोली में मानव और वन्यजीव के बीच संघर्ष की एक और भयावह घटना सामने आई है। भगोती गांव के रहने वाले हरपाल सिंह (45) पर गुरुवार दोपहर भालू ने अचानक हमला कर दिया, जब वह गांव की क्षतिग्रस्त पेयजल लाइन को ठीक करने झिझोंणी गांव के पास स्रोत तक गए थे। गनीमत रही कि उनके साथियों की सतर्कता और बहादुरी ने उनकी जान बचा ली।
पानी की लाइन, जंगल का रास्ता और अचानक हमला
हाल की बारिशों के चलते भगोती गांव की पेयजल आपूर्ति बाधित हो गई थी। इस आपूर्ति को बहाल करने के लिए हरपाल सिंह अपने कुछ साथियों के साथ झिझोंणी गांव के निकट स्रोत पर पहुंचे। यह स्थान घने जंगलों के करीब है, जहां वन्यजीवों की आवाजाही सामान्य बात है।
“हम काम कर ही रहे थे कि अचानक झाड़ियों से एक भालू निकला और सीधे हरपाल सिंह पर झपटा।”
– प्रत्यक्षदर्शी शिक्षक कमलेश नेगी, जो उनके साथ थे।
साथियों की सूझबूझ और साहस से टली बड़ी अनहोनी
हमले के दौरान हरपाल सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। लेकिन उनकी किस्मत अच्छी थी कि साथ में मौजूद कर्मचारियों ने समय रहते शोर मचाया और डंडों से भालू पर हमला किया। इससे भालू घबरा गया और जंगल की ओर भाग निकला।
- घायल हरपाल को तत्काल पीएचसी नारायणबगड़ ले जाया गया
- प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें गंभीर हालत में हायर सेंटर रेफर किया गया
“घाव गहरे हैं और हालत चिंताजनक हो सकती है, इसलिए उन्हें रेफर किया गया है,”
– डॉ. नवीन डिमरी, प्रभारी चिकित्साधिकारी, नारायणबगड़
पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
- बारिश और भूस्खलन के कारण जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे हैं
- ग्रामीणों को पेयजल, लकड़ी, चारा आदि के लिए जंगल में जाना पड़ता है, जहां वे इन हमलों का शिकार बन जाते हैं
स्थानीय लोगों की मांग – सुरक्षा और सतर्कता बढ़ाई जाए
इस घटना के बाद भगोती और झिझोंणी गांव के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। लोगों ने वन विभाग से अपील की है कि:
- घटनास्थल के आसपास गश्त बढ़ाई जाए
- वन्यजीव चेतावनी बोर्ड और सायरन सिस्टम लगाए जाएं
- काम करने वाले सरकारी कर्मियों को सुरक्षा उपकरण या वन्यजीव सतर्कता प्रशिक्षण दिया जाए
क्या कहता है प्रशासन?
वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि:
“हम घटना की जांच कर रहे हैं। साथ ही, भालू की मौजूदगी के संकेत मिलने पर क्षेत्र में गश्त और कैमरा ट्रैपिंग की व्यवस्था की जाएगी।”
निष्कर्ष: प्रकृति से नज़दीकी अब बन रही खतरा
पर्वतीय ग्रामीणों के लिए पेयजल जैसी बुनियादी जरूरत को पूरा करने में भी जान का जोखिम उठाना पड़ रहा है। यह घटना इस बात की एक और चेतावनी है कि जंगलों से सटे इलाकों में वन्यजीवों की बढ़ती हलचल को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।