नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के हालिया आरोपों पर चुनाव आयोग (ECI) ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि वे “2018 में कमलनाथ द्वारा इस्तेमाल की गई पुरानी और थकी हुई स्क्रिप्ट” दोहरा रहे हैं। आयोग ने साफ कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस तरह के आरोपों को खारिज कर चुका है और राहुल गांधी को अदालत के फैसलों का सम्मान करना चाहिए।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बयान जारी कर बताया कि 2018 में, उस समय मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट में मतदाता सूची में गड़बड़ियों का मामला उठाया था। उन्होंने एक निजी वेबसाइट से प्राप्त दस्तावेज पेश कर यह साबित करने की कोशिश की थी कि एक ही मतदाता का नाम कई स्थानों पर दर्ज है। लेकिन जांच में सामने आया कि जिन त्रुटियों का हवाला दिया गया था, उन्हें चार महीने पहले ही सुधार लिया गया था और इसकी सूचना कांग्रेस पार्टी को दे दी गई थी। इसके बावजूद कमलनाथ ने अदालत में मामला दायर किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
आयोग ने कहा कि अब 2025 में, राहुल गांधी भी वही आरोप दोहरा रहे हैं—जैसे कि आदित्य श्रीवास्तव नामक मतदाता का नाम तीन अलग-अलग राज्यों में दर्ज होना। जबकि यह त्रुटि महीनों पहले ही सुधार दी गई थी। आयोग के अनुसार, यह दर्शाता है कि राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का सम्मान नहीं कर रहे हैं और मीडिया के माध्यम से जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
ECI ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून में मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज करने और अपील करने की एक निर्धारित प्रक्रिया है। राहुल गांधी ने इस कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए “बिना ठोस प्रमाण” के विवाद खड़ा किया। आयोग ने कहा, “यदि कानून किसी कार्य के लिए विशेष प्रक्रिया निर्धारित करता है, तो उसी का पालन होना चाहिए। यदि राहुल गांधी को अपने आरोपों पर विश्वास है, तो उन्हें कानूनी तरीके से हलफनामे पर हस्ताक्षर करके आरोप सिद्ध करने चाहिए। अन्यथा, उन्हें चुनाव आयोग पर लगाए गए बेबुनियाद आरोपों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।”
इस तरह, चुनाव आयोग ने साफ संकेत दिया है कि वह बार-बार उठाए जा रहे इन आरोपों को राजनीतिक बयानबाजी मानता है, न कि वास्तविक कानूनी चुनौती।