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उत्तरकाशी आपदा: गंगोत्री से लौटते वक्त मौत से सामना, चट्टानों और मलबे के बीच रेंगकर बचाई जान

तारीख: 8 अगस्त 2025 | स्थान: ऋषिकेश

उत्तरकाशी में हाल ही में आई आपदा में कई लोग मौत के मुंह से लौटे। ऐसा ही एक भयावह अनुभव साझा किया जोशीमठ के मोहित सकलानी (27 वर्ष) ने, जो अपने दिल्ली निवासी दोस्तों अभिषेक और सुरेंद्र के साथ गंगोत्री से लौटते समय धराली बाजार के पास भूस्खलन की चपेट में आने से बाल-बाल बचे।

मोहित के अनुसार, मंगलवार दोपहर करीब 1:15 बजे वे लोग गंगोत्री दर्शन कर धराली पहुंचने ही वाले थे, तभी पहाड़ी से चट्टानों और मलबे के गिरने की गड़गड़ाहट सुनाई दी। स्थानीय लोग चिल्लाकर गाड़ी रोकने का इशारा कर रहे थे। ड्राइवर ने तुरंत वाहन रोककर बैक करना शुरू किया, लेकिन मलबा उनके बिल्कुल करीब आ चुका था।

“हम बिना समय गंवाए गाड़ी से कूद पड़े और घुटनों व कोहनियों के बल रेंगते हुए मलबे से दूर भागे,” मोहित ने बताया। इसी बीच आईटीबीपी और सेना के जवान मौके पर पहुंचे और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की। वे मुखबा के रास्ते लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलकर आर्मी कैंप तक पहुंचे।

भगवान की कृपा से बचे
मोहित कहते हैं, “उस वक्त चारों तरफ सिर्फ मलबा ही नजर आ रहा था। यकीन नहीं हो रहा था कि हम बच गए। कोहनी और घुटनों में चोट आई है, लेकिन जान बच गई, यही सबसे बड़ी बात है।” गुरुवार को उन्हें हेलीकॉप्टर से उत्तरकाशी से जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया, जहां से ट्रांजिट कैंप पहुंचाकर उनका इलाज किया गया।

दिल्ली के दोस्तों से उनकी मुलाकात कुछ समय पहले जोशीमठ में हुई थी, जिसके बाद इस यात्रा का प्लान बना। उनका मूल प्लान हर्षिल में रुकने का था, लेकिन किस्मत ने उन्हें धराली में उस भयावह मंजर का सामना करा दिया।

इस हादसे ने एक बार फिर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात के मौसम में यात्रा के खतरों की सच्चाई उजागर कर दी है।

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