हर्षिल (उत्तरकाशी), 10 अगस्त 2025
पांच अगस्त को आई विनाशकारी आपदा के बाद अब उत्तरकाशी के हर्षिल क्षेत्र में एक और खतरा मंडरा रहा है। आपदा में हर्षिल सैन्य कैंप और हेलिपैड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि तेलगाड के मुहाने पर जमा भारी मलबा किसी भी समय फिर से तबाही मचा सकता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यह मलबा अचानक भागीरथी में बह गया, तो झील बनने और फिर अचानक टूटने का खतरा है।
तेलगाड और खीरगंगा – दो खतरे की कहानियां
आपदा विज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, हर्षिल में तबाही मचाने वाली तेलगाड की स्थिति अब भी अस्थिर है। मुहाने पर भारी मलबा और कटाव जारी है। यही स्थिति हाल ही में धराली को तबाह करने वाली खीरगंगा में भी बनी थी।
- खीरगंगा घाटी में सात-आठ साल से लगातार भूमि कटाव हो रहा था।
- वर्ष 2019 के बाद से मुहाने पर भूकटाव के कारण मलबा जमा हो गया था।
- इस साल अत्यधिक बारिश और ग्लेशियर पिघलने से वह मलबा पानी के साथ नीचे आया और धराली में व्यापक तबाही का कारण बना।
तेलगाड का नया संकट
वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक प्रो. वाई. पी. सुंद्रियाल बताते हैं कि किसी भी नदी के मुहाने पर मलबा एकत्र होना भविष्य के लिए गंभीर खतरा है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में जहां ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। तेलगाड का संगम भागीरथी नदी से जिस स्थान पर होता है, वहां नदी का फैलाव (span) काफी कम है। इस कारण, यदि मलबा और पानी अचानक बहकर आया, तो झील बनने और उसके टूटने से फ्लैश फ्लड जैसी स्थिति बन सकती है।
सैन्य ढांचे को भारी नुकसान
तेलगाड के उफान से सेना के हर्षिल कैंप और हेलिपैड को भारी क्षति हुई। हालांकि फिलहाल पानी का बहाव कम हुआ है, लेकिन पहाड़ी पर जमा मलबा अब भी बना हुआ है, जो भविष्य में दूसरे चरण की आपदा को जन्म दे सकता है।
विशेषज्ञों की सिफारिश
- नदी मुहाने पर जमा मलबे की त्वरित निकासी
- संभावित झील बनने की स्थिति में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना
- ऊपरी क्षेत्रों में ग्लेशियर मॉनिटरिंग और भूमि कटाव रोकने के उपाय