देहरादून, 13 अगस्त 2025 – उत्तराखंड सरकार ने राज्य के हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए अतिरिक्त वेतनवृद्धि की वसूली से जुड़े सभी आदेश रद्द कर दिए हैं। इतना ही नहीं, जिन शिक्षकों से यह राशि पहले ही वसूल ली गई थी, उन्हें अब यह रकम वापस की जाएगी।
पृष्ठभूमि: 2019 का विवादास्पद आदेश
- 2016 में सातवें वेतनमान की व्यवस्था के तहत चयन और प्रोन्नत वेतनमान प्राप्त शिक्षकों को एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ दिया गया था।
- 6 सितंबर 2019 को शासन ने इस लाभ पर रोक लगा दी।
- 13 सितंबर 2019 को एक और आदेश जारी हुआ, जिसमें शिक्षकों को मिली अतिरिक्त वेतनवृद्धि की धनराशि की वसूली करने का निर्देश दिया गया।
- इसके बाद कुछ शिक्षकों से राशि वसूली गई, जबकि कई शिक्षक इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए।
हाईकोर्ट के बाद बदला फैसला
हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने अब सभी वसूली आदेशों को पूर्ण रूप से निरस्त करने का निर्णय लिया है। साथ ही, शिक्षा विभाग को निर्देश दिया गया है कि वसूली गई धनराशि को संबंधित शिक्षकों को लौटाया जाए।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने इस संबंध में सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों और दोनों मंडलों के अपर निदेशकों को आदेश जारी कर दिया है।
शिक्षक संघों की प्रतिक्रिया
- रमेश पैन्युली, प्रांतीय महामंत्री, राजकीय शिक्षक संघ –
“सातवें वेतनमान में दी गई वेतनवृद्धि पर 2019 में रोक लगाना शिक्षकों के साथ अन्याय था। जबकि डेढ़ लाख कर्मचारियों को इसका लाभ जारी रहा। सरकार का यह फैसला शिक्षक हित में ऐतिहासिक है।” - डॉ. सोहन माजिला, पूर्व प्रांतीय महामंत्री –
“विभाग के गलत निर्णय से शिक्षकों को आर्थिक और मानसिक परेशानी उठानी पड़ी। यह कदम उस गलती को सुधारने की दिशा में सही है।”
कितने शिक्षक होंगे लाभान्वित
राज्य में माध्यमिक और प्राथमिक स्तर पर हजारों शिक्षक इस फैसले से लाभान्वित होंगे। विशेषकर वे शिक्षक, जिनसे 2019 के बाद अतिरिक्त वेतनवृद्धि की राशि वसूली गई थी, अब उनकी राशि ब्याज सहित लौटाने की तैयारी है।
यह फैसला न केवल आर्थिक राहत देगा बल्कि शिक्षा विभाग और शिक्षकों के बीच विश्वास बहाल करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।