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किश्तवाड़ में कुदरत का कहर: चिशोती गांव में बादल फटा, 60 की मौत, 200 से अधिक लापता

किश्तवाड़ (जम्मू-कश्मीर), 15 अगस्त 2025

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले का चिशोती गांव गुरुवार दोपहर भयावह आपदा का गवाह बना, जब अचानक बादल फटने और भूस्खलन ने पूरे इलाके को तबाही में बदल दिया। इस घटना में अब तक 60 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, 120 से अधिक घायल हैं, जिनमें से 38 की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि 200 से अधिक लोग लापता हैं।

आपदा के समय गांव में मचैल माता यात्रा पर आए हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। मृतकों में भी अधिकतर श्रद्धालु ही बताए जा रहे हैं। चिशोती मचैल माता मंदिर के पैदल मार्ग का प्रमुख पड़ाव स्थल है, जहां से मंदिर की 8.5 किलोमीटर की चढ़ाई शुरू होती है।

मिनटों में तबाही
गुरुवार दोपहर करीब 12 से 1 बजे के बीच हुई भारी बारिश के साथ पत्थर, मलबा और पेड़ गांव में घुस आए। पानी के तेज बहाव में घर, दुकानें, लंगर और यहां तक कि एक सुरक्षा चौकी भी बह गई। नाले किनारे बसा पूरा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया। कई जगहों पर नाले उफान पर हैं, जिससे पाडर क्षेत्र के गांवों का आपसी संपर्क टूट गया है।

राहत और बचाव कार्य
स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना और वायुसेना की टीमें मौके पर पहुंचकर मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास कर रही हैं। व्हाइट नाइट कोर ने जानकारी दी है कि राहत सामग्री, चिकित्सा दल और उपकरण घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं, लेकिन खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर का उपयोग फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा।

अठोली पीएचसी में अब तक 25 शव लाए जा चुके हैं, जबकि गंभीर रूप से घायलों को किश्तवाड़ जिला अस्पताल और जम्मू मेडिकल कॉलेज भेजा गया है।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस त्रासदी पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने बताया कि राहत एवं पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भारी नुकसान
इस आपदा में दो पुल बह गए हैं, जिनमें से एक हाल ही में पीएमजीएसवाई के तहत बना था। पुल टूटने से मचैल, हमूरी और आसपास के कई गांवों का सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया है। चिनाब नदी और भोट नाला उफान पर हैं, जिससे खतरा अभी टला नहीं है।

यह त्रासदी किश्तवाड़ के लिए एक गहरा ज़ख्म बन गई है, जिसकी पीड़ा यहां के लोग आने वाले वर्षों तक नहीं भूल पाएंगे।

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