देहरादून, 18 अगस्त 2025 – उत्तराखंड में गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। प्रदेश कैबिनेट ने रविवार को हुई बैठक में उत्तराखंड साक्षी संरक्षण अधिनियम-2020 को रद्द करने की मंजूरी दे दी है। अब सरकार मानसून सत्र में उत्तराखंड साक्षी संरक्षण अधिनियम (निरसन) विधेयक विधानसभा में पेश करेगी।
वर्तमान में राज्य में गवाहों की सुरक्षा के लिए लागू साक्षी संरक्षण अधिनियम 2020, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत प्रभावी था। लेकिन पिछले साल 1 जुलाई से देशभर में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)-2023 लागू हो चुकी है। इस नए कानून की धारा 398 में गवाहों की सुरक्षा से जुड़ी स्पष्ट परिभाषा और प्रावधान किए गए हैं।
कैबिनेट में रखे गए गृह विभाग के प्रस्ताव में कहा गया कि नए प्रावधानों को लागू करने के लिए पहले से चला आ रहा राज्य का अधिनियम रद्द करना आवश्यक है। इसी वजह से कैबिनेट ने इस पर विचार-विमर्श कर मंजूरी दी।
अब विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद, उत्तराखंड में बीएनएसएस-2023 के प्रावधानों के अनुसार नई साक्षी संरक्षण योजना लागू होगी।
इस कदम से उम्मीद जताई जा रही है कि आपराधिक मामलों में गवाहों की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और भी पारदर्शी और प्रभावी होगी।