गैरसैंण (चमोली), 19 अगस्त 2025 – उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण एक साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर से सजीव हो उठी है। विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र मंगलवार से भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में शुरू हो रहा है।
एक साल बाद टूटा सन्नाटा
पिछले वर्ष 21 अगस्त 2024 को गैरसैंण में विधानसभा का मानसून सत्र आयोजित हुआ था। उसके बाद से गैरसैंण और भराड़ीसैंण परिसर सन्नाटे में डूबे रहे। इस बार 19 अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र के लिए सरकार और विपक्ष दोनों ही गैरसैंण पहुंच चुके हैं।
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने मंत्रिमंडल और विधायकों के साथ गैरसैंण डटे हुए हैं। दूसरी ओर, विपक्ष भी पूरी ताकत से विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी में है। राजनीतिक हलचल के बीच गैरसैंण एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति का केंद्र बन गया है।
आपदाओं की चोट और जनता की जद्दोजहद
बीते एक साल में उत्तराखंड ने कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया। देहरादून से गैरसैंण की यात्रा के दौरान टूटी सड़कों, भूस्खलन और मलबे के निशान साफ झलक रहे हैं। जनता अब उम्मीद लगाए बैठी है कि विधानसभा में इन जख्मों की दवा जरूर मिलेगी।
विकास को लेकर उम्मीदें जवां
गैरसैंण का यह मानसून सत्र पहाड़ के विकास की नई इबारत लिखने वाला साबित हो सकता है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि इस बार सरकार सड़कों, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार से जुड़े ठोस निर्णय ले। पहाड़वासियों का मानना है कि अगर सरकार ने कठिन रास्तों की पीड़ा महसूस की है तो अब समाधान भी इसी सदन से निकलेगा।
परीक्षा जैसी चुनौती और जज्बा
मानसून सीजन में रोजाना बारिश और भूस्खलन पहाड़ की परीक्षा लेते हैं। बावजूद इसके, सरकारी काफिला मलबे और खतरनाक रास्तों से गुजरते हुए गैरसैंण पहुंचा। यह इस बात का संकेत है कि अगर जज्बा हो तो पहाड़ की चुनौतियां भी विकास की राह नहीं रोक सकतीं।