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उत्तराखंड में अल्पसंख्यक शिक्षा के लिए नया कानून

देहरादून, 19 अगस्त: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को अल्पसंख्यक विधेयक 2025 पेश किया गया। इस विधेयक के तहत राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन होगा। सभी मदरसों और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को अब इस प्राधिकरण से मान्यता लेनी अनिवार्य होगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कानून बुधवार को पारित कर लागू कर दिया जाएगा।


सभी मदरसों को दोबारा लेनी होगी मान्यता

विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, अब तक उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसे शैक्षिक सत्र 2025-26 तक अपनी पढ़ाई जारी रख पाएंगे। इसके बाद सत्र 2026-27 से धार्मिक शिक्षा देने के लिए नई मान्यता लेना अनिवार्य होगा। प्राधिकरण की ओर से दी गई मान्यता तीन सत्रों तक मान्य होगी और बाद में नवीनीकरण कराना होगा।


अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का ढांचा

प्राधिकरण में एक अध्यक्ष और 11 सदस्य होंगे।

  • अध्यक्ष अल्पसंख्यक समुदाय का शिक्षाविद होगा, जिसके पास कम से कम 15 वर्षों का शिक्षण अनुभव और किसी उच्च शिक्षण संस्थान में न्यूनतम पांच वर्ष का प्रोफेसर के रूप में अनुभव होना अनिवार्य होगा।
  • 11 सदस्यों में से छह सदस्य सीधे अल्पसंख्यक समुदायों से होंगे। इनमें मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय से एक-एक सदस्य होगा।

अन्य सदस्य और अधिकारी

शेष पांच सदस्यों में शामिल होंगे:

  • राज्य सरकार का कोई सेवानिवृत्त अधिकारी (सचिव या समकक्ष)
  • विद्यालयी शिक्षा क्षेत्र में 10 वर्ष या उससे अधिक अनुभव रखने वाला एक सामाजिक कार्यकर्ता
  • महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा
  • एससीईआरटी का निदेशक
  • निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण

मान्यता के लिए जरूरी शर्तें

नए अधिनियम के अनुसार, मान्यता लेने के लिए संस्थानों को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी:

  • संस्थान की जमीन उसकी पंजीकृत सोसाइटी के नाम पर होनी चाहिए।
  • सभी वित्तीय लेन-देन अनिवार्य रूप से किसी वाणिज्यिक बैंक खाते से ही किए जाएंगे।
  • छात्रों और कर्मचारियों को किसी धार्मिक गतिविधि में बाध्य नहीं किया जा सकेगा।
  • शिक्षकों की नियुक्ति परिषद द्वारा निर्धारित योग्यताओं के आधार पर ही होगी।

सरकार का सीधा नियंत्रण

सरकार को प्राधिकरण को सीधे निर्देश देने का अधिकार होगा। यदि प्राधिकरण इनका पालन नहीं करता है, तो सरकार अपने स्तर से निर्णय लागू करेगी और प्राधिकरण को उसे मानना होगा।

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